नरड़ गांव को चाहिए शिक्षित सरपंच, जो पति के इशारों पर न चल खुद फैसले ले सके
Panchayat Election : ग्रामीणों का कहना है कि पूरे गांव में शुद्ध पेयजल आज तक नहीं मिल पाया. कैथल शहर से इस गांव की कनेक्टिविटी नहीं है. उन्होंने ऐसी प्रत्याशी को वोट देने की बात कही है, युवाओं को नशाखोरी से निकालने का वादा निभा सके.
विपिन शर्मा/ कैथल : हरियाणा में पहले चरण में जिन नौ जिलों में पंचायत चुनाव होंगे, उनमें कैथल भी शामिल है. इन जिलों में जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के लिए 30 अक्टूबर और सरपंच-पंच पद के लिए 2 नवंबर को मतदान होगा. सरपंच-पंच के नतीजे वोटिंग वाले दिन आ जाएंगे. नया सरपंच कैसा हो, पिछली बार ऐसे कौन से काम हैं, जो नहीं हो पाए.
ग्रामीणों को नई सरपंच से क्या उम्मीदें है, इन सब सवालों के जवाब के लिए जी मीडिया की टीम देहात के दंगल कार्यक्रम के तहत जी मीडिया की टीम कैथल के गांव नरड़ पहुंची. जाट बाहुल्य गांव नरड़ में 3200 वोट हैं, जिनमें से 1600 वोट जाटों के हैं. बाकि वोट सभी जातियों के मिलाकर हैं.पिछली बार यह गांव एससी रिजर्व था. इस बार यह गांव बीसी ए कैटेगरी में महिला के लिए आरक्षित है.
गांव में एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल है, जिसमें साइंस, आर्ट और कॉमर्स स्ट्रीम की पढ़ाई होती है. गांव की गलियां पक्की है. सफाई की कमी दिखती है. पीने का साफ पानी आधे गांव में उपलब्ध है. गांव के लोगों का कहना है कि पानी की निकासी एक तालाब में की गई है, जो कि ठीक नहीं है. गांव में लाइब्रेरी नहीं है.
ग्रामीणों ने गांव में स्टेडियम की मांग की. इनका यह भी कहना है कि कैथल शहर से इस गांव की कनेक्टिविटी नहीं है. कोई भी सरकारी बस नहीं चलती। गांव की लड़कियों को अगर उच्च शिक्षा के लिए कैथल आना हो तो पहले 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है फिर मेन हाईवे पर 15 मिनट से लेकर 2 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है, जो सुरक्षा की दृष्टि से सही नहीं है. इसलिए गांव के लिए स्पेशल बस चलनी चाहिए। इस गांव में सरकार की तरफ से स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है.
शराब के अवैध खुर्दे हटाने की मांग
गांव की जो पंचायती जमीन है वह गांव से दूर है. गांव वालों की मांग है किअगर उनको उसके बदले गांव के नजदीक जमीन मिले और उस पर ग्राउंड बना दिया जाए तो बच्चे खेल की तरफ ध्यान देंगे और नशे से बचेंगे। इस गांव में शराब के अवैध खुर्दे बहुत ज्यादा हैं.
महिलाओं की भी मांग है कि इन्हें हटाया जाए महिलाओं का कहना है कि इस गांव में महिला सरपंच ऐसी हो जो खुद अपने फैसले ले सके. हजारों लोगों में अपनी बात कह सके. पढ़ी लिखी हो, ऐसा न हो कि सरपंच वह बने और काम उसका प्रतिनिधि के रूप में पति करें।