चंडीगढ़: खेल निदेशालय ने खिलाड़ियों के लिए एक पत्र जारी कर कहा है कि अब खिलाड़ी राज्य के बाहर ट्रायल देने के बाद दोबारा अपने राज्य में ट्रायल नहीं दे सकेंगे. इससे पहले खिलाड़ी नेशनल प्रतियोगिताओं में ट्रायल देने के लिए दूसरे राज्य के साथ-साथ अपने राज्य से भी ट्रायल दे देता था. इससे खिलाड़ी का जहां भी चयन होता, वह वहां से खेल सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इस पत्र में साफतौर पर कहा गया हैं कि अगर कोई खिलाड़ी दूसरे राज्य में ट्रायल देने के बाद वहां सेलेक्ट हो जाता है और फिर अपने राज्य में भी सेलेक्ट हो जाता है. इसके बाद वह अपने राज्य से खेलता है तो उस खिलाड़ी को विभाग की तरफ से मिलने वाली कोई सुविधा नहीं मिलेगी.


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इससे पहले खिलाड़ियों के ऊपर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं थी. खिलाड़ी किसी भी राज्य में जाकर नेशनल प्रतियोगिता का ट्रायल दे देते थे और उनका वहां सेलेक्शन हो जाता था. उसके बाद जब उसी नेशनल प्रतियोगिता का ट्रायल खिलाड़ी के राज्य में होता था तो वह वहीं भी ट्रायल दे देता था. अगर वहां भी सेलेक्शन हो जाता था तो वह अपने राज्य के लिए खेलता था. इस कारण दूसरे राज्य की सीट खाली रह जाती थी. इसका खामियाजा राज्य और अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को भुगतना पड़ता था. खेल निदेशालय के इश निर्णय से अब ऐसा नहीं होगा. अब खिलाड़ी को एक जगह ट्रायल देने के बाद दूसरी जगह ट्रायल देने से पहले विभाग से परमिशन पड़ेगी. अगर खिलाड़ी परमिशन नहीं लेता है तो विभाग की तरफ से दी जानी वाली सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाएंगी. 


खेलने से पहले लेनी होगी परमिशन
खेल विभाग ने पत्र में कहा है कि हरियाणा के जिन खिलाड़ियों का चयन राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में ट्रायल के जरिये किया गया है. वो खिलाड़ी दूसरे राज्य से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए ट्रायल नहीं दे सकते. अगर वे ऐसा करते हैं तो उसे खेल नीति का कदाचार माना जाएगा. इसके बाद उसे खेल विभाग हरियाणा की ओर से किसी प्रकार का लाभ नहीं दिया जाएगा. हरियाणा राज्य की ओर से राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता के लिए ट्रायल के जरिये खिलाड़ी का चयन नहीं होता है तो दूसरे राज्य में आयोजित ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए खेल विभाग हरियाणा से अनुमति लेना अनिवार्य होगा. 


खेल निदेशालय के इस पत्र के बारे में जिला खेल अधिकारी अशोक दुआ ने बताया कि इस पत्र को स्टेडियम के गेट पर चस्पा दिया है. राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए अगर हरियाणा का खिलाड़ी दूसरे राज्य की टीम का हिस्सा बनता है तो उसे विभाग से परमिशन लेनी होगी. अगर वह परमिशन नहीं लेता है तो उसे दी जानी वाली सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाएंगी.