Haryana News: सिविल अस्पताल के बाहर रेफर मुक्त फरीदाबाद का धरना प्रदर्शन, भ्रष्टाचार के चलते मरीजों को किया जाता रेफर
Faridabad News: इसी भ्रष्टाचार के खेल को खत्म करने के लिए शहर के कुछ जागरूक नागरिक फरीदाबाद के इस सिविल अस्पताल के बाहर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. यहां लोग सर मुड़वाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
Faridabad News: एक गरीब और मध्य वर्ग का परिवार अपने इलाज के लिए स्थानीय सिविल अस्पताल की ओर रुख करता है. इस उम्मीद के साथ की वहां पर उसका इलाज कम पैसे में अच्छा हो सकेगा, लेकिन वहां जाकर केवल खाना पूर्ति के लिए एक या दो दवा की गोली देकर उसको या तो दिल्ली के सरकारी बड़े अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. जहां पर वह एक खिड़की से दूसरी खिड़की पर धक्के खाने को मजबूर होता है या तो गंभीर हालत में रास्ते में ही उसकी मौत हो जाती है. कभी उसे पास के ही किसी बड़े प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाने का बोल दिया जाता है. जिसके कारण उस मरीज के परिवार पर आर्थिक बोझ तो आता ही है. साथ ही साथ सरकारी सिविल अस्पताल से रेफर करने के दौरान मौत का खतरा भी बना रहता है. यही खेल पिछले कई सालों से फरीदाबाद के इस सिविल अस्पताल, जिसे बादशाह खान के नाम से जाना जाता है. यहां पर खेला जा रहा है.
अब इसी भ्रष्टाचार के खेल को खत्म करने के लिए शहर के कुछ जागरूक नागरिक फरीदाबाद के इस सिविल अस्पताल के बाहर पिछले कई दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. यहां लोग सर मुड़वाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
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धरनास्थल पर बैठे हुए नागरिकों ने बताया कि फरीदाबाद के इस सिविल अस्पताल में भ्रष्टाचार के चलते रेफर करने का खेल कई सालों से खेला जा रहा है. पहले यहां लगभग 600 से ज्यादा तरह की दवाइयां मरीजों को दी जाती थी. अब उसकी संख्या आधी हो गई है. अन्य दवाइयां और एक्सपर्ट डॉक्टरों की कमी के चलते गंभीर रूप से घायल या पीड़ित मरीजों को या तो दिल्ली के सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है या फिर मिली भगत के चलते शहर के ही बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भेज दिया जाता है. इसी रेफर करने के खेल में कई बार गंभीर रूप से घायल मरीज की मौत भी हो जाती है. साथ ही साथ प्राइवेट अस्पताल में जाने के बाद उसे आर्थिक नुकसान भी भुगतना पड़ता है.
धरना दे रहे एक नागरिक ने बताया कि शहर के ही छांयसा गांव में सरकार ने सरकारी अस्पताल बनवाया है. कई करोड़ की लागत से बनवाया गया, लेकिन पिछले कई साल से वहां पर ओपीडी सेवा ही शुरू नहीं की गई है. केवल खानापूर्ति के लिए दिन में 30 से 40 मरीजों को दवाई दी जाती है. जबकि वहां पर हर महीने करोड़ों रुपए की सैलरी मौजूदा कर्मचारियों को दी जा रही है. धरने पर मौजूद लोगों ने प्रदेश की नायब सैनी सरकार से अटल बिहारी वाजपेयी छांयसा मेडिकल कॉलेज में आईपीडी सेवाएं शुरू करने, ट्रॉमा सेंटर बनवाने व सिविल अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने की मांग की.
Input: Amit Chaudhary