Haryana के इस कदम ने दिलाई 1978 की याद, Yamuna का जलस्तर खतरे के निशान के पार
Delhi Yamuna Water Level : गुरुवार को पड़ोसी राज्य हरियाणा ने हथिनी कुंड बैराज (Hathini Kund Barrage) से भरी मात्रा में पानी छोड़ दिया है, जिसके बाद दिल्ली में बाढ़ की आशंका के मद्देनजर अलर्ट जारी कर दिया गया है.
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) में इस बार अब तक भारी बारिश नहीं होने के बावजूद यमुना के जलस्तर (Yamuna Water Level) ने खतरे की घंटी बजा दी है. गुरुवार को पड़ोसी राज्य हरियाणा ने हथिनी कुंड बैराज (Hathini Kund Barrage) से भरी मात्रा में पानी छोड़ दिया है. गुरुवार सुबह आठ बजे तक पुराने रेलवे पुल पर जलस्तर 204.29 मीटर था, जबकि चेतावनी स्तर 204.50 मीटर है. वहीं शुक्रवार को दिल्ली में यमुना का जलस्तर शाम 4 बजे खतरे के निशान को पार कर गया. इस दौरान दिल्ली में जलस्तर 205.38 मीटर दर्ज किया गया, जबकि खतरे का निशान 205.33 मीटर पर है.
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सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के केंद्रीय नियंत्रण कक्ष ने गुरुवार को पहली चेतावनी जारी की. अधिकारियों के मुताबिक सुबह 7 बजे हथिनीकुंड बैराज से 1,34,912 क्यूसेक पानी छोड़ा गया और इसके बाद आठ बजे बैराज से एक बार फिर 1,82,295 क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया. 6 सितंबर, 1978 को यमुना नदी का जलस्तर 207.49 मीटर के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, जिसके बाद राजधानी में भारी बाढ़ आ गई थी.
कार्यपालक अभियंता एवं केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के प्रभारी शिव कुमार ने बताया कि नियंत्रण कक्ष द्वारा सभी सेक्टर अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में निगरानी रखने तथा नदी तटबंधों के आसपास रहने वाले लोगों को आगाह करने और आवश्यक कार्रवाई करने की सलाह दी गई है. सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अभी जलस्तर और बढ़ने की उम्मीद है.
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हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 182295 क्यूसेक पानी 72 घंटे में दिल्ली पहुंच जाएगा. आशंका जताई गई है कि दिल्ली के अलावा यह पानी यमुनानगर, करनाल और पानीपत में भी नुकसान पहुंचाएगा.
प्रशासन ने मुनादी कराई
ऐतिहात के तौर पर यमुना से सटे सभी गांव में अलर्ट जारी किया गया है. गांव में मुनादी कराई जा रही है कि कोई भी व्यक्ति नदी की तरफ न जाए. नदी के बढ़ते जलस्तर पर प्रशासन की नजर है. बाढ़ से निपटने के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं.
सिल्ट रोकने के लिए नहरों की सप्लाई बंद
यमुना में बढ़ते लगातार जलस्तर के साथ जंगल व पहाड़ों से कूड़ा करकट व सिल्ट आ रही थी, जिसे देखते हुए 7 बजे पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर की सप्लाई रोक दी गई. अधिकारियों का तर्क है यदि नहरों की सप्लाई न रोकी जाती तो नहर में सिल्ट भर जाती. हालांकि नहरों में सप्लाई बंद होने की हाइडल से बिजली उत्पादन भी बंद हो गया है. यहां पर करीब 62 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है.