Menstrual Hygiene Practice: मासिक धर्म स्वच्छता नीति पर काम कर रही है केंद्र, कलंक मुक्त होगी देश की महिलाएं
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Menstrual Hygiene Practice: मासिक धर्म स्वच्छता नीति पर काम कर रही है केंद्र, कलंक मुक्त होगी देश की महिलाएं

Menstrual Hygiene Practice: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मासिक धर्म स्वच्छता नीति पर काम कर रहा है. इस योजना का मकसद है महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों और लड़कों सहित लोगों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना है ताकि सभी को मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी हो और इसके आसपास के मिथकों, कलंक और लैंगिक मुद्दों का समाधान किया जा सके.

Menstrual Hygiene Practice: मासिक धर्म स्वच्छता नीति पर काम कर रही है केंद्र, कलंक मुक्त होगी देश की महिलाएं

Menstrual Hygiene Practice: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) इन दिनों मासिक धर्म स्वच्छता नीति पर काम कर रहा है. इस योजना का मकसद है सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म उत्पादों तक पहुंचना, सुनिश्चित करना, स्वच्छता सुविधाओं में सुधार करना, सामाजिक वर्जनाओं से निपटना और एक बेहतर माहौल को बढ़ावा देना है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 की रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 24 साल की 78 प्रतिशत महिलाएं अपने मासिक धर्म चक्र के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीके का उपयोग करती हैं.

जो कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 के दौरान 58 प्रतिशत थी. इसी के साथ नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, 64 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं और 50 प्रतिशत महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और 15 प्रतिशत स्थानीय रूप से तैयार नैपकिन का उपयोग करती हैं.

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कलंक मुक्त रहे देश की महिलाएं-

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस योजना का महत्व है कि सभी महिलाएं लड़कियां सुरक्षित, स्वस्थ और कलंक से मुक्त तरीके से मासिक धर्म का अनुभव कर सकें. वक्त के साथ लोगों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन मासिक धर्म वाले लोगों की विविध आवश्यकताओं को व्यापक व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए और अधिक निवेश की जरूरत है. इस योजना के तहत भारत अपनी विशाल और विविध आबादी के साथ एक व्यापक मासिक धर्म स्वच्छता नीति तैयार कर रहा है.

लड़कियों के लिए शिक्षा के महत्व-

बता दें कि इस सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि जिन महिलाओं ने 12 या उससे अधिक वर्षों तक स्कूली शिक्षा प्राप्त की है, उनमें स्कूली शिक्षा न लेने वाली महिलाओं की तुलना में स्वच्छता का उपयोग करने की संभावना दोगुनी से भी अधिक है. वहीं, 73 प्रतिशत ग्रामीण महिलाएं और 90 प्रतिशत शहरी महिलाएं मासिक धर्म सुरक्षा की स्वच्छ विधि का इस्तेमाल करती हैं.

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सूत्र के मुताबिक, यह योजना कमजोर आबादी को प्राथमिकता देने और मासिक धर्म स्वच्छता संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने और उनकी विशिष्ट जरूरतों को संबोधित करने पर विशेष ध्यान देना है. इस योजना का का मकसद है कि महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों और लड़कों के साथ-साथ लोगों के लिए एक विशेष ध्यान केंद्रित करता है. नीति का उद्देश्य महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों और लड़कों सहित लोगों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना है ताकि सभी को मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी हो और इसके आसपास के मिथकों, कलंक और लैंगिक मुद्दों का समाधान किया जा सके.

मासिक धर्म के अपशिष्ट से निपटान को मजबूत करना

केंद्रीय अधिकारियों ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना का मकसद है कि घरों, स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों सहित सभी स्थानों पर मासिक धर्म के अनुकूल वातावरण बनाना और पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी मासिक धर्म अपशिष्ट से निपटान को मजबूत करना है.

आपको बता दें कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने 2014 में स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण पहल में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन को शामिल किया था. इसके बाद 2015 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देश लॉन्च किए थे.

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