Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के मामले में डूसु चुनाव के अधिकांश उम्मीदवारों को 28 अक्टूबर में अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने पिछले महीने हुए दिल्ली विश्वविधालय छात्र संघ(डूसू) चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों को सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुचाने के मामले में पेश होन के लिए नोटिस जारी किया.


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हाई कोर्ट ने एमसीडी के दावे पर विश्वविधालय का रुख पूछा कि उसने निजी ठेकेदार को नियुक्त करके इन क्षतिग्रस्त संपत्तियों की सफाई में एक करोड़ रुपये खर्च किए हैं. वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने मतगणना पर रोक हटाने से इनकार करते हुए न्यायालय ने पुलिस, एमसीडी और डीयू की ताजा स्थिति की रिपोर्ट को दाखिल करने का निर्दश दिया और सुनवाई 28 अक्टूबर के लिए निर्धारित की. 


वीसी पर की कड़ी टिप्पणी 
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने वाइस चांसलर को फटकार लगाते हुए कहा कि ये अभ्यर्थी आपके कॉलेजों में पढ़ते हैं और आपके पास पूरा अधिकार है. हाईकोर्ट ने डीयू के इस दावे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उसके 90 प्रतिशत कॉलेजों, संस्थानों और परिसरों को विरूपण से मुक्त कर दिया गया है. इसे न केवल याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने चुनौती दी थी, बल्कि डीएमआरसी और एमसीडी ने भी चुनौती दी थी, जिनका प्रतिनिधित्व क्रमश: स्थायी अधिवक्ता पुष्कर सूद और संजीव सभरवाल ने किया था. आप छात्रों को राजमार्गों पर गुंडागर्दी करने की अनुमति कैसे दे सकते हैं? यह बहुत अच्छी स्थिति नहीं है. यह डीयू की प्रशासनिक विफलता है जिसके कारण ऐसी अप्रिय स्थिति पैदा हुई. सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए.


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 हमारा इरादा मतगणना रोकने का नहीं है.
अदालत ने कहा कि पुलिस को सड़कों पर चलने वाली ऐसी कारों पर कार्रवाई करनी चाहिए और इसे एक गंभीर मुद्दा बताया. अदालत ने डूसू चुनावों की मतगणना तब तक रोक दी थी जब तक कि सार्वजनिक संपत्ति से पोस्टर, होर्डिंग और भित्तिचित्र हटा नहीं दिए जाते. हमारा इरादा मतगणना रोकने का नहीं है. आप जगह साफ करें, और अगले दिन, मतगणना की अनुमति दी जाएगी. जब ये उम्मीदवार प्रचार के लिए बड़ी लग्जरी कारें खरीद सकते हैं, तो वे निश्चित रूप से सफाई के लिए पैसे खर्च कर सकते हैं. अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जिसमें संभावित डूसू उम्मीदवारों और छात्र संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी, जो कथित तौर पर सार्वजनिक दीवारों को नुकसान पहुंचाने, उन्हें गंदा करने और नष्ट करने में शामिल थे.


हाई कोर्ट ने कहा कि डीयू क्षेत्र में बिना नंबर प्लेट वाली कारें हैं, (लोग) रोल्स-रॉयस और अन्य लग्जरी कारों में प्रचार करते हैं, लेकिन पुलिस और विश्वविद्यालय कुछ नहीं कर रहे हैं. क्या आपके पास कुलपति भी है? हम यह हल्के से कह रहे हैं कि उन्हें सक्रिय होने की जरूरत है, अन्यथा हम आदेश पारित करेंगे. यह बहुत आश्चर्यजनक है. आपको कुछ करना होगा.