Emergency 1975: 25 जून 1975 की तारीख आज भी लोगों के जहन में है. यह एक ऐसा दिन था जब इंदिरा गांधी के आपातकाल ने देश को कालकोठरी बना दिया था. इस काली रात के मंजर ने लोगों को शारीरिक और मानसिक यातनाएं इस कद्र दी थी कि आज भी अगर इसे कोई याद करता है तो उनके माथे पर पसीने आ जाते हैं. दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में रहने वाले लाल बिहारी तिवारी (82) को पुलिस ने बिना किसी सूचना पर रातों रात घर से उठा लिया था. लाल बिहारी तिवारी करीब 19 महीने जेल के अंदर पंजाब से पांच बार के सीएम प्रकाश सिंह बादल के साथ रहे थे. जब तिवारी आपातकाल की कालकोठरी से बाहर आए तो 1993 में भाजपा से विधायक बने और उसके बाद 1997 में उत्तर-पूर्वी जिले से सांसद भी रहे.


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तिवारी की जुबानी सुने आपातकाल का काला मंजर
लाल बिहारी तिवारी ने बातचीत के दौरान कहा कि आपातकाल से पहले वो जनसंघ के जिलाध्यक्ष थे. साथ ही कहा कि दिल्ली के रामलीला मैदान में जून 1975 में जय प्रकाश नारायण की एक सभा हुई. इस सभा में ओल्ड कांग्रेस और जनसंघ समेत विभिन्न दल शामिल हुए. इस सभा में एकजुट होकर सभी ने एक आवाज के साथ इंदिरा गांधी को कुर्सी से हटाने का आह्वान किया था. इसके अलावा बताया कि एक अदालत ने इंदिरा गांधी के चुनाव लड़ने पर रोक भी लाग दी थी. इसी बात को लेकर इंदिरा गांधी ने 25 जून की रात 12 बजे ही पूरे देश में आपातकाल घोषित कर दिया था. आपातकाल लगते हुए जनसंघ समेत अन्य गैर कांग्रेसी पार्टियों के नेताओं व कार्यकर्ताओं को घर, ऑफिस समेत अन्य जगहों से पुलिस गिरफ्तार कर रही थी. एक के बाद एक लोगों को जेल की कालकोठरी में बंद किया जा रहा था. कई लोग तो ऐसे थे जो करीब एक-एक और दो-दो साल अपने परिवा से नहीं मिल पाए.


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लाल बिहार तिवारी 19 महीने अपने बच्चों और परिवार से रहे दूर
उन्होंने कहा कि मैं खुद 19 महीने अपने बच्चों और परिवार से दूर रहा था. उन्होंने बताया कि जिस रात आपातकाल लगा था तो बेटे रवि तिवारी की तबियत बहुत खराब थी. पुलिस से छुपते और छुपाते हुए बेटे के लिए दवा लेने जा रहे थे, तभी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई थी तो पत्नी ने सब्जी बेचकर परिवार का पालन पोषण किया था.


जेल में दी जाती थी बहुत यातनाएं
लाल बिहारी तिवारी दिल्ली उपभोक्ता सहकारी थोक भंडार में लीगल मैनेजर के तौर पर काम कर रहे थे. आपातकाल में गिरफ्तारी के दौरान करीब वो 19 महीने जेल में रहे. इसी बीच उनकी नौकरी भी चल गई थी. परिवार के पालन पोषण के लिए ना को कोई दोस्त आगे आया और ना ही कोई रिश्तेदार आगे आया. सभी ने उनके परिवार का साथ छोड़ दिया था. साथ ही उन्होंने कहा कि जेल में वो पंजाब से पांच बार मुख्यमंत्री रह प्रकाश सिंह बादल के अलावा  चौधरी चरण सिंह समेत कई बड़े नेताओं के साथ जेल में थे. उनको और उनके साथियों को जेल के अंदर बहुत ही यातनाएं दी जाती थी.


जेल में लगाई जाती थी शाखा
उन्होंने यह भी बताया कि जब उनको तिहाड़ जेल के वार्ड नंबर 13 लगाया गया था तो वहां पहले से ही बड़ी संख्या में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयंसेवी बंद थे. सभी लोगों से परिचय हुए और बहुत ही कम समय में सभी दोस्त भी बन गए. जेल के अंदर एक दिन ऐसा नहीं जाता था तब पुलिस के द्वारा यातनाएं ना दी जाती हो, लेकिन मेरा हौसला नहीं टूटा. सभी सदस्य जेल के अदंर ही संघ की शाखा लगाया करते थे. शाखा को लेकर जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया.