parliament: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान जब कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी बोल रहे थे, तो राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के बीच बहस छिड़ गई. धनखड़ ने कहा कि जयराम रमेश उन्हें बार-बार टोकते रहे और जब जयराम रमेश फिर से टिप्पणी का जवाब देने के लिए खड़े हुए, तो धनखड़ ने उन्हें बुद्धिमान और प्रतिभाशाली बताया और मजाक में खड़गे की जगह लेने के लिए कहा जो उनके लिए सबसे उपयुक्त होगा.


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धनखड़ ने कहा, "जयराम रमेश, आप बुद्धिमान हैं, इतने प्रतिभाशाली हैं, आपको तुरंत आकर खड़गे की जगह ले लेनी चाहिए. क्योंकि कुल मिलाकर आप उनका काम कर रहे हैं. इस पर जवाब देते हुए खड़गे ने कहा, "सुनो, वर्ण व्यवस्था की बात मत लाओ, अपने दिमाग में भर लो कि वर्ण व्यवस्था है. इसलिए तुम रमेश को बहुत बुद्धिमान, बहुत समझदार कह रहे हो और मैं मूर्ख हूं ताकि वह मेरी जगह ले सके. धनखड़ ने जवाब दिया कि खड़गे उनकी बातों को नहीं समझ पाए और उन्हें तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. जब खड़गे ने कहा कि उन्हें कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पद दिया है और यह अधिकार केवल उन्हीं में निहित है.


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आप हर बार कुर्सी का अनादर नहीं कर सकते
धनखड़ या जयराम रमेश में नहीं, तो धनखड़ ने जवाब दिया कि खड़गे ने कुर्सी का अनादर किया. आप हर बार कुर्सी को नहीं गिरा सकते. आप हर बार कुर्सी का अनादर नहीं कर सकते. आप अचानक खड़े हो जाते हैं और बिना मेरी बात समझे जो चाहें बोल देते हैं. इस देश और संसदीय लोकतंत्र और राज्यसभा की कार्यवाही के इतिहास में कभी भी कुर्सी के प्रति इतनी अवहेलना नहीं हुई, जितनी आपने की," धनखड़ ने खड़गे को संबोधित करते हुए कहा आपको आत्मचिंतन करने का समय आ गया है. आपकी गरिमा पर कई बार हमला किया गया है. मैंने हमेशा आपकी गरिमा की रक्षा करने की कोशिश की है.