Kaithal: 15 साल पहले बने 300 से ज्यादा नकली प्रमाण पत्र का खुलासा
गुहला में 15 साल पहले 300 से ज्यादा जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. तीन महीने पहले जांच रिपोर्ट में गड़बड़ घोटाले के बारे में गुहला की तत्कालीन एसएमओ ने इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भी भेजी. इसके बाद भी मामले में कार्रवाई नहीं होने पर अब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में की गई है.
विपिन शर्मा/ कैथल: कैथल जिले में आने वाले गुहला अस्पताल में तत्कालीन एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर कर 300 से ज्यादा फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का मामला सामने आया है. इस संदर्भ में अस्पताल की तत्कालीन एसएमओ प्रीति सिंगला द्वारा 6 महीने पहले दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कैथल सीएमओ को पत्र लिखा था. वह पत्र ही सिविल सर्जन कार्यालय से गायब हो गया है. यह पत्र किस स्तर पर गायब हुआ है, इसे लेकर भी कोई जानकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को नहीं है. जब इस बारे में सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार से जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि ऐसा कोई पत्र उनके पास नहीं आया है ओर न ही शिकायत ब्रांच में ऐसा कोई पत्र मिला है. अब कैथल सिविल सर्जन अशोक कुमार ने इस पूरे मामले की जांच करने के लिए 2 सदस्य कमेटी का गठन किया है जो इस पूरे मामले की जांच कर उन्हें रिपोर्ट करेगी.
बता दें कि 15 साल पहले यानी साल 2007 में गुहला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जन्म रजिस्ट्रेशन शाखा के दौरान रजिस्ट्रेशन करते हुए गडबड़ी की गई थी. जन्म की लेट फाइलों का रजिस्ट्रेशन एसडीएम की बिना अनुमति के ही अपने स्तर पर कर दिया गया था. जब सामुदायिक अस्पताल स्तर पर इसकी जांच की गई तो गोलमाल सामने आया. जांच कमेटी ने पाया कि एसडीएम की बिना अनुमति के यह जन्म प्रमाण पत्र बनाए गए हैं ओर रजिस्टर में भी कई नंबर खाली छोड़े गए थे. जिसके बाद प्रमाण पत्र को बनाकर यहां रजिस्टर में नंबर अंकित किया जा सके.
ये भी पढ़ें: Gurugram: सोनू हत्याकांड में 5 गिरफ्तार, पुरानी रंजिश के चलते दिया वारदात को अंजाम
करीब 300 से ज्यादा फर्जी जन्म प्रमाण पत्र गलत बनाए थे. इस मामले को लेकर एक जांच कमेटी का भी गठन किया था. इस कमेटी ने जांच कर रिपोर्ट तैयाार करते हुए इसी साल अगस्त महीने में दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सिविल सर्जन को पत्र लिखा था, लेकिन बड़ी हैरानी की बात है कि अधिकारियों पर कार्रवाई होने की बजाय सिविल सर्जन कार्यालय से तत्कालीन एसएम द्वारा की गई जांच रिपोर्ट की फाइल ही गायब हो गई है. जिसकी जांच पड़ताल करने के लिए मौजूदा सिविल सर्जन अशोक कुमार ने 2 सदस्य कमेटी का गठन किया है और उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही जा रही है.
इसके बाद भी मामले में कार्रवाई नहीं होने पर अब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में की गई है.