Arvind Kejriwal News: अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर वोटरों के नाम हटाने और पैसे बांटने का आरोप लगाया है. उन्होंने यह आरोप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को लिखे पत्र में लगाए.
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Delhi News: दिल्ली में नए साल की शुरुआत राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के साथ हुई. आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर वोटरों के नाम हटाने और पैसे बांटने का आरोप लगाया है. उन्होंने यह आरोप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को लिखे पत्र में लगाए. यह पत्र आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के संदर्भ में महत्वपूर्ण सवाल उठाता है.
पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने पत्र में RSS प्रमुख से कई सवाल किए. उन्होंने पूछा कि क्या RSS भाजपा द्वारा किए गए गलत कार्यों का समर्थन करता है. इसके अलावा, उन्होंने यह भी पूछा कि क्या RSS उन भाजपा नेताओं को सहमति देता है जो वोट खरीदने के लिए पैसे बांटते हैं और बड़े पैमाने पर पूर्वांचली और दलित वोटरों के नाम हटाते हैं.
वहीं दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने केजरीवाल पर तीखा हमला करते हुए उन्हें भ्रष्टाचार खत्म करने, झूठे वादे बंद करने और यमुना की दयनीय स्थिति के लिए माफी मांगने को कहा. सचदेवा ने कहा कि नए साल के पहले दिन हम अक्सर संकल्प लेते हैं और केजरीवाल को अपने झूठ को रोकने का संकल्प लेना चाहिए.
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इसके अलावा बीजेपी ने केजरीवाल और AAP पर आरोप लगाया कि वे दिल्ली में अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी निवासियों को दस्तावेज और धन मुहैया कराते हैं, जिससे वे वोट बैंक के रूप में काम कर सकें. यह आरोप दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बनाता है.
बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 70 सदस्यों के लिए फरवरी में होने वाले हैं. इस चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. केजरीवाल और सचदेवा के बीच यह विवाद आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
उन्होंने कहा कि केजरीवाल को दिल्ली में शराब के प्रचार को रोकना चाहिए और भारत विरोधी ताकतों से दान स्वीकार करना बंद करना चाहिए. इससे पहले, अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र, नई दिल्ली विधानसभा में मतदाता सूची को भड़काने करने के लिए तीन-तरफा रणनीति अपनाने का आरोप लगाया था. उन्होंने चुनाव आयोग को निर्वाचन आयोग में असामान्य वृद्धि के बारे में लिखा था, जिसमें मतदाता सूची में जोड़ने और हटाने की गतिविधियों में वृद्धि देखी गई. यह मुद्दा दिल्ली की राजनीति में महत्वपूर्ण बनता जा रहा है.