Karwa Chauth 2023: करवा चौथ से पहले महिलाएं क्यों रचाती हैं अपने हाथों पर मेहंदी?
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Karwa Chauth 2023: करवा चौथ से पहले महिलाएं क्यों रचाती हैं अपने हाथों पर मेहंदी?

आज करवाचौथ का त्योहार है और बीती रात करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं ने अपने हाथों में मेहंदी रचवाई.

Karwa Chauth 2023: करवा चौथ से पहले महिलाएं क्यों रचाती हैं अपने हाथों पर मेहंदी?

Karwa Chauth 2023: आज करवाचौथ का त्योहार है और बीती रात करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं ने अपने हाथों में मेहंदी रचवाई. राजधानी दिल्ली के किदवईनगर की व्रती महिलाओं ने बताया कि करवाचौथ का व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करते हैं, जिसमें सभी व्रती महिलाएं सुबह से लेकर रात चांद निकलने तक भूखे प्यासे व्रत रखती हैं और चांद निकलने के बाद उसे देख कर अपना व्रत तोड़ती है. 

महिलाओं ने बताया कि यह व्रत काफी कठिन होता है, लेकिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए सब कुछ सहने को तैयार है. वही करवाचौथ के अवसर पर आयोजित मेहंदी कार्यक्रम के आयोजक सुनील यादव ने कहा कि करवाचौथ का त्योहार हिंदुओं का त्योहार है, जिसमें हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए दिनभर भूखी प्यासी रहती है और चांद निकलने के बाद पूजा करके ही वह अन्न ग्रहण करती है. जब हमारी बहन-महिलाएं इतना कठोर व्रत अपने पति के लिए रख सकती है तो हम भी अपनी बहनों के लिए आज हाथों में मेहंदी रचवा रहे हैं. जो मेहंदी आर्टिस्ट के द्वारा लगाई जा रही है, क्योंकि यह सुहागिनों का त्योहार है और सुहागिन महिलाएं इसमें खुद को सजाने का कार्य करती है.

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इस दौरान हाथों में मेहंदी रचवाने वाली महिलाओं ने बताया कि करवाचौथ के पर्व में मेहंदी का एक खास योगदान होता है. क्योंकि हमारे सोलह श्रृंगार में एक शृंगार मेहंदी भी है और महिलाएं करवाचौथ के त्योहार पर अपने दोनों हाथों में मेहंदी रचवाने का कार्य करते है. क्योंकि व्रत के दिन हमें फुर्सत नहीं मिलता है कि कोई अन्य कार्य कर सके इसलिए हम लोग व्रत से एक दिन पहले ही खुद को सजाने का कार्य करते है.

बता दे कि करवाचौथ का त्योहार आज के समय में सभी सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की उम्र की लंबी कामना के लिए करती है. जिसमें महिला सुबह से लेकर चांद निकलने तक भूखी और प्यासी रहती है और चांद निकलने के बाद अपने पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का पारण करती हैं. यह परंपरा सदियों पुरानी है जो आज भी महिलाएं पूरे रस्मोरिवाज से मना रही हैं.

INPUT: HARI KISHOR SAH

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