जानिए क्या होता है पोस्टमार्टम या Autopsy और क्यों पड़ती है पीएम कराने की जरूरत
आपने अक्सर सुना या पढ़ा होगा कि पुलिस ने शव को कब्जे में ले पोस्टमार्टम के लिए भेजा. शायद आपके दिमाग में भी ये सवाल आता होगा कि आखिर कैसे होता है पोस्टमार्टम और किन मामलों में होती है इसकी जरूरत.
नई दिल्ली : हर आपराधिक मामले में जरूरत होती है पोस्टमार्टम कराने की ताकि मौत के सही कारण का पता लगाया जा सके, अब मौत अगर संदिग्ध परिस्थिति में हुई है तब तो पोस्टमार्टम ठीक है लेकिन जहां प्राकृतिक मौत होती है वहां पोस्टमार्टम कराना जरूरी नहीं होता है. इस रिपोर्ट में हम आपको पोस्टमार्टम के बारे में सबकुछ बताने जा रहें हैं.
क्या होता है पोस्टमार्टम या ऑटोप्सी ?
सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि पोस्टमार्टम और ऑटोप्सी दोनों एक ही प्रक्रिया के दो अलग-अलग नाम हैं. सरल शब्दों में बताएं तो पोस्टमार्टम व्यक्ति की मौत के बाद उसके मृत्यु का सटीक कारण का पता लगाने के लिए किया जाता है, जहां एक्सपर्टस् शव का बाहरी निरीक्षण करते हैं या जरूरत पड़ने पर शरीर के अंदर के अंगों की भी जांच करते हैं जिससे मौत के सही कारण का पता चल सके.
कब पड़ती है पोस्टमार्टम करवाने की जरूरत ?
हर एक घटना या दुर्घटना में पोस्टमार्टम कराने की जरूरत नहीं होती है, केवल वो ही मामले जहां मौत के कारण का पता ना हो या किसी की मौत संदिग्ध परिस्थिति में हुई हो जैसे किसी एक्सीडेंट, हिंसा या कत्ल से तो आवश्यकता होती है पीएम(postmortem) करवाने की. कई बार व्यक्ति की मौत किसी अनजान बीमारी से होती है तो भी डॉक्टर पोस्टमार्टम करते हैं. हां जहां मौत प्राकृतिक कारणों से हुई हो वहां पोस्टमार्टम की कोई खासा जरूरत नहीं होती है.
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दो तरह का होता है पोस्टमार्टम
कोरोनर्स पोस्टमार्टम और हॉस्पिटल पोस्टमार्टम दो तरह के पोस्टमार्टम होते हैं. दरअसल जहां मौत का कारण पता लगाना होता है और वकील या डॉक्टर की तरफ से पोस्टमार्टम की मांग की जाती है उसे कहते कोरोनर्स पोस्टमार्टम, इस तरह के पोस्टमार्टम में कानूनी एंगल भी शामिल होता है और जहां व्यक्ति की मौत किसी अनजान बीमारी से हुई हो तो डॉक्टर उस बीमारी के बारे में गहन जानकारी के लिए जो पोस्टमार्टम करते हैं उसे हॉस्पिटल पोस्टमार्टम कहा जाता है.