Moti Masjid History: मोती मस्जिद, जो दिल्ली की 17वीं सदी की एक महत्वपूर्ण मस्जिद है, जो कि के लाल किले के परिसर में स्थित है. इसे मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा बनवाया गया था और यह मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. इसकी सफेद संगमरमर की बनावट और सुशोभित फूलों की नक्काशी इसे अद्वितीय बनाती है. यह मस्जिद न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. आइए लाल किले की इस मोती मस्जिद के पूरे इतिहास के बारे में जानते हैं.
Why is Moti Masjid Build in Red Fort: औरंगजेब ने अपनी ताजपोशी के बाद मोती मस्जिद का निर्माण कराया. इसका मुख्य उद्देश्य सम्राट को अपने निजी कक्षों के निकट एक प्रार्थना स्थल प्रदान करना था. उस समय लाल किले में कोई मस्जिद नहीं थी और शाहजहां, जो किले के निर्माता थे. उन्होंने पास की जामा मस्जिद में सामूहिक प्रार्थनाएं अदा की थीं. मोती मस्जिद का निर्माण 1663 में पूरा हुआ, जिसमें औरंगजेब ने व्यक्तिगत रूप से 1 लाख 60 हजार रुपये खर्च किए.
Moti Masjid: निर्माण के बाद, औरंगज़ेब ने मस्जिद में जुहर की नमाज अदा करना शुरू किया, जिसमें राज्य के अधिकारी भी शामिल होते थे. यह एक नई औपचारिक प्रथा की शुरुआत थी, जिसने मस्जिद को और भी महत्वपूर्ण बना दिया. इस प्रकार, मोती मस्जिद ने सामूहिक प्रार्थनाओं का एक नया अध्याय शुरू किया.
Red Fort Moti Masjid: 1857 में, दिल्ली की घेराबंदी के दौरान ब्रिटिश सैनिकों ने लाल किले को लूटा. इस दौरान मोती मस्जिद के सुनहरे तांबे के गुंबदों को Prize Agents द्वारा हटाया गया और नीलामी में बेचा गया. इससे गुंबदों को नुकसान पहुंचा और बारिश के पानी ने प्रार्थना कक्ष की छत को क्षति पहुंचाई. बाद में, अग्रेजों ने इसकी मरम्मत करवाई और इसे सफेद संगमरमर से बदल दिया.
Moti Masjid Historical Significance: इस प्रकार, मोती मस्जिद का इतिहास और इसके निर्माण का उद्देश्य इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल बनाते हैं. यह न केवल मुगल वास्तुकला का एक बेहतर उदाहरण है, बल्कि भारतीय इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इसके संरक्षण के प्रयास इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं.
Lahore Moti Masjid: मोती मस्जिद के नाम से एक मस्जिद पाकिस्तान के में भी स्थित है. जिसे यह मुगल बादशाह जहांगीर ने बनवाया था. यह मस्जिद लाहौर के किला में स्थित है.