नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस अब और पावरफुल हो जाएगी. केंद्र सरकार ने एक ऐसी पावर दिल्ली पुलिस के कमिश्नर दे दी है जिससे वह राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी अपराधी को पकड़ सकते हैं और उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत किसी को भी हिरासत में ले सकते हैं.


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LG विनय कुमार सक्सेना ने एक नोटिफिकेशन जारी कर दिल्ली पुलिस कमिश्नर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत किसी को भी हिरासत में लेने का अधिकार दिया है. यह 19 अक्टूबर से 18 जनवरी 2023 तक लागू रहेगा. इसके लिए बाकायदा नोटिफिकेशन भी जारी किया है. आदेश के बाद दिल्ली पुलिस और ज्यादा पावरवाली पुलिस कैटेगरी में आ गई है. क्योंकि NSA के लिए अलग से जांच एजेंसी होती है. अभी तक ये पावर NIA को मिली हुई है. हालांकि यह पावर सिर्फ चार महीने के लिए दिल्ली पुलिस को मिली है.


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क्या है NSA एक्ट का इतिहास (History Of NSA)
आपको बता दें कि NSA का इतिहास ब्रिटिश शासनकाल जुड़ा हुआ है. इस कानून के तहत किसी भी संदिग्घ को घटना के होने से पहले ही अरेस्ट किया जा सकता है. अंग्रेजों ने 1881 में बंगाल रेगुलेशन थर्ड नाम का कानून बनाया था. इसमें भी घटना से पहले ही संदिग्ध को अरेस्ट करने का प्रावधान था. 1919 में रोलेट एक्ट भी कुछ ऐसा ही था, जिसमें दोषी पाए गए शख्स को ट्रायल तक की छूट नहीं थी. आजादी के बाद देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू ने 1950 में प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट लेकर आए थे. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं उन्होंने 23 सितंबर 1980 को संसद से कानून बनवा लिया.


क्यों है पावरफुल एक्ट?
इस एक्ट में ऐसा प्रावधान है कि गिरफ्तार किए संदिग्ध शख्स को 3 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है. इस दौरान उसकी जमानत भी नहीं हो सकती. अगर अपराध गंभीर किस्म का होना था तो हिरासत की समयसीमा बढ़ाकर 12 महीने की जा सकती है. खास बात यह है कि हिरासत में रखने के लिए पुलिस को आरोप तय करने की भी जरूरत नहीं होती है. जांच एजेंसी हिरासत में लिया गया शख्स हाईकोर्ट के एडवाइजरी के सामने अपील कर सकता है. जिसमें राज्य सरकार को यह बताना होता है कि शख्स को क्यों और किस जुर्म के आधार पर हिरासत में लिया गया है.


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राज्यों सरकारों को क्या शक्तियां देता है यह एक्ट?
नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. अगर राज्य सरकार को लगता है कि कोई शख्स देश के लिए खतरा है तो इस कानून के तहत अरेस्ट भी किया जा सकता है. यह एक्ट राज्य को ज्यादा शक्तियां देता है. इस कानून के सहारे राज्य सरकार देश को खतरा बताकर किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सकती है.