Lifestyle News: गेमिंग ऐप के जरिये नाबालिग छात्र के धर्मांतरण के मामले में अब केंद्रीय जांच एजेंसी आईबी की एंट्री हो चुकी है. बता दें कि गाजियाबाद में पुलिस ने गेमिंग ऐप के जरिये धर्म परिवर्तन करने वाले गैंग का खुलासा किया था. इस मामले में पुलिस ने एक मौलाना को रविवार को गिरफ्तार किया था. इस मामले के तार महाराष्ट्र से लेकर चंडीगढ़ तक जुड़े हुए हैं. सूत्रों का कहना है कि इस मामले में आतंकी कनेक्शन की जांच भी एजेंसी की मदद से शुरू कर दीगई है. दरअसल छोटे बच्चों को प्रभावित करना आसान होता है. ऐसे में इस तरह के गैंग छोटे बच्चों को टारगेट करते हैं.


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जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. ए के विश्वकर्मा के मुताबिक आजकल के दौर में इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में कहीं न कहीं अभिभावक अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. आजकल के दौर में बच्चों को मां-बाप द्वारा ज्यादा ध्यान न देना और बच्चों को छोटी उम्र में मोबाइल या अन्य गैजेट देना. अक्सर खाना खाते समय छोटे बच्चों को मां बाप मोबाइल आदि में वीडियो लगाकर दे देते हैं. कई बार मां-बाप काम में लगे हुए होते हैं और बच्चे अपने मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर आदि में व्यस्त होते हैं.


बच्चों पर रखें नजर
छोटे बच्चे एक प्लेन पेपर की तरह होते हैं. छोटे बच्चों का माइंड बेहद साफ होता है. छोटे बच्चों को जो भी नई चीजें नए सिरे से बताई या फिर समझाई जाएंगी. उसको बच्चे जरूर समझेंगे. बच्चे नई चीजों से काफी प्रभावित होते हैं. विशेषकर यह टीन ऐज और छोटे बच्चों में देखा जाता है. मां-बाप को इस बात का बेहद ख्याल रखने की जरूरत है कि उनके बच्चे उनसे ज्यादा किसी से अटैच या प्रभावित न हो. यदि बच्चे मोबाइल लैपटॉप कंप्यूटर आदि का प्रयोग करते हैं तो मां-बाप को नजर बनाकर रखनी चाहिए कि वह इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर क्या गतिविधि कर रहे हैं. किसी भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर बच्चों को ज्यादा अधिक समय न बिताने दें.


इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस रखें बच्चों से दूर
बच्चों को प्रभावित करना आसान है. जब मां-बाप बच्चों को ज्यादा समय नहीं देते हैं तो ऐसे में बच्चे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज या फिर किसी बाहरी व्यक्ति से अटैच्ड हो जाते हैं. इसी अटैचमेंट का फायदा उठाकर कोई भी बाहरी व्यक्ति बच्चों को प्रभावित कर सकता है. उन्हें प्रभावित करना बाहरी व्यक्ति के लिए आसान हो सकता है. इससे बचने के लिए बच्चों को समय दें. एनसीआर में अधिकतर परिवार ऐसे है. जहां पति और पत्नी दोनों नौकर पेशा हैं. ऐसे में बच्चों का ख्याल रखना और बच्चों पर ध्यान देना एक बड़ी चुनौती बन जाती है. मां-बाप को प्रयास करना चाहिए कि ऑफिस से घर आने के बाद बच्चों को समय दें. उनसे बातचीत करें. उनसे अपनी चीजें साझा करें, जिससे कि बच्चे मां बाप से अपनी चीजें शेयर करने के लिए प्रेरित हों और कंफर्टेबल होकर वह अपनी सारी बातें मां-बाप को बता सकें.


बच्चों के साथ करें दोस्ती
मां-बाप को बच्चों से बातकर यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि बच्चों के मन में क्या चल रहा है. वह क्या करना चाहते हैं. चाहे वह पढ़ाई के क्षेत्र में हो या फिर खेलकूद या फिर उनके जीवन से जुड़ी कोई बात. पहला और सबसे जरूरी कदम है कि वो अपने बच्चों को एहसास कराएं कि वह उनके सबसे करीब और सबसे अच्छे दोस्त है. उनकी हर एक बात को समझते हैं. मां-बाप को कोशिश करना चाहिए कि वह अपने बच्चों के दोस्त बने.