Delhi Election: दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होगा और उसका रिजल्ट 8 फरवरी को आएगा. आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता में लगातार तीसरी बार काबिज होने की तैयारी में है, लेकिन पिछले 10 से सत्ता में रही AAP के लिए इस बार का मुकाबला एकतरफा नहीं रहने वाला है. इस बार बीजेपी ने उसकी मजबूत घेराबंदी की है. इसके लिए उसने भ्रष्टाचार के मुद्दे को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया है. कथित शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल समेत आप के तमाम वरिष्ठ नेताओं के जेल जाने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी भी अपने इर्द गिर्द सत्ता विरोधी लहर महसूस कर रही है. उसे भ्रष्टाचार के आरोप और बीजेपी के आक्रामक प्रचार अभियान का भी सामना करना पड़ रहा है, जो कि उसकी छवि को प्रभावित कर रही है. 


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आप ने किए हैं ये पांच वादे 
दिल्ली चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने महिलाओं, बुजुर्गों, ऑटो ड्राइवरों, छात्रों और पुजारियों-गंथियों से जुड़ी पांच बड़ी घोषणाएं कर दिल्ली की जनता का समर्थन जुटाने की पूरी कोशिश की है. आप ने 'महिला सम्मान योजना' के तहत वादा किया है कि चुनाव जीतने के बाद महिलाओं को 2100 रुपये दिए जाएंगे. संजीवनी योजना' के तहत 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के बुजुर्गों का फ्री में इलाज होगा। ऑटो चालकों का 10 लाख रुपये का बीमा के साथ ही बेटी की शादी पर 1 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी. अंबेडकर स्कॉलरशिप योजना के तहत द‍िल्‍ली सरकार दलित छात्रों की पढ़ाई का खर्च उठाएगी। इसके अलावा पुजारियों-ग्रंथियों को  को भी हर महीने 18 हजार रुपये दिए जाएंगे. आप सरकार दिल्लीवासियों को फ्री बिजली-पानी, महिलाओं को बस में मुफ्त सफर,  बुजुर्गों को निशुल्क तीर्थ यात्रा की सौगात पहले ही दे चुकी है. 


कहां पर पड़ सकती है कमजोर 
सत्ता में लंबे समय तक रहने पर अक्सर सत्तारूढ़ दल को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ता है. कई मतदाता बदलाव की जरूरत महसूस करते हैं. बीते एक दशक में भ्रष्टाचार के कई आरोपों से आप की कट्टर ईमानदार पार्टी वाली छवि पर दाग लगे हैं. अरविंद केजरीवाल तथा मनीष सिसोदिया सहित प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी ने पार्टी की साफ-सुथरी छवि को धूमिल किया है. अगर बीजेपी अपने मजबूत प्रचार तंत्र के बलबूते सत्ता विरोधी लहर बना पाई तो आम आदमी पार्टी को सीटों का अच्छा खासा नुकसान हो सकता है. 


दिल्ली में नेतृत्व परिवर्तन और कैलाश गहलोत जैसे प्रमुख नेताओं के पार्टी छोड़ने से आंतरिक मतभेद के भी संकेत मिले, जिसका पूरा फायदा बीजेपी लेने की कोशिश करेगी. ‘शीश महल’ विवाद को जन्म देने के बाद केजरीवाल को घेरने की भी कोशिश हो रही है, लेकिन आज जिस तरीके से पुलिस ने आप नेताओं को मीडिया के साथ सीएम आवास में घुसने से रोका, उससे आप को पोलिटिकल माइलेज मिलने की संभावना बन रही है. 


मतदाताओं के साथ तालमेल बढ़ाने से मिलेगा फायदा 
आम आदमी पार्टी ने इस बार 20 मौजूदा विधायकों का टिकट काट कर नए चेहरों पर दांव लगाकर बदलती स्थिति के साथ तालमेल बैठाने की भरपूर कोशिश की है. साथ ही लोकसभा चुनाव के गठबंधन साथी कांग्रेस से खुद को दूरकर आप को मतदाताओं का विश्वास फिर से बहाल करने और राष्ट्रीय राजधानी में खुद को अपने बल पर स्थापित करने में मदद कर सकती है. इसके अलावा आंतरिक कमजोरियों को दूर करने और बाहरी खतरों का मुकाबला करने की क्षमता दिल्ली के साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी आप  का भविष्य निर्धारित करेगी.  


इन संभावित खतरों से बचना जरूरी 
भाजपा अपनी मजबूत प्रचार मशीनरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शीश महल को लेकर किए तंज 'आप-दा नहीं सहेंगे, बदलकर रहेंगे' जैसे नारों के साथ आम आदमी पार्टी को मजबूत चुनौती दे रही है. इसके अलावा भ्रष्टाचार की जांच और उपराज्यपाल कार्यालय के साथ आप के लगातार टकराव (जिसमें पूर्व बस मार्शलों को बहाल करने जैसे नीतिगत निर्णयों पर विवाद) सत्तारूढ़ दल की विश्वसनीयता को आगामी चुनाव में नुकसान पहुंचा सकता है.


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