PFI पर बैन से गदगद हरियाणा CM मनोहर लाल, बोले- देश विरोधी गतिविधि नहीं होगी बर्दाश्त
पीएफआई पर पिछले कुछ दिनों से NIA छापेमारी कर रही थी. NIA ने कहा कि पिछली कार्रवाई के बाद पीएफआई पूरे देश में कानून व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश रच रहा है. जिस पर संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल तैनात किया गया. PFI के खिलाफ टेरर फंडिंग के सबूत मिले हैं.
नई दिल्ली: भारत सरकार के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बैन लगा दिया है. PFI पर यह बड़ी कार्रवाई NIA की छापेमारी के बाद की गई है. एजेंसियों के इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने PFI पर पांच साल का बैन लगा दिया गया है. इतना ही नहीं इससे जुड़े कई और संगठनों को भी निशाना बनाया गया है. सरकार इससे जुड़े संगठनों को भी बैन कर दिया है. गृह मंत्रालय की ओर से एक लेटर में कहा गया है कि ये संगठन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर पीएफआई की मदद करते थे. पीएफ पर बैन से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खुशी जताई है. उन्होंने मोदी सरकार के इस कदम की सराहना की है.
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने पीएम मोदी के इस कदम पर तारीफ की है. सीएम ने ट्वीट किया और लिखा कि भारत में रहकर, भारत के खिलाफ साजिश बर्दाश्त से बाहर है. देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया व उसके सहयोगी संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध का मैं स्वागत करता हूं. PFI पर #सर्जिकल_स्ट्राइक, PM श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में नए भारत की सशक्तता का परिचायक है.
27 सितंबर को 150 लोग हुए थे अरेस्ट
आपको बतां दें पीएफआई कई सालों से सरकार की नजरों में थी. इस पर और इसके सहयोगी संगठनों से जुड़े लोगों पर सरकार की खुफिया एजेंसीज की नजर थी. इसी को लेकर पिछले कई दिनों से नेशनल जांच एजेंसी छापेमारी कर रही थी. NIA ने दिल्ली समेत 11 राज्यों में PFI के ठिकानों रेड की थी. इसमें 172 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. अकेले शाहीन बाग में मंगलवार को 8 जगहों पर छापे मारे थे. जमिया मिलिया यूनिवर्सिटी इलाके में धारा 144 लगाई गई है.
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क्यों लगाया गया बैन?
बैन की कार्रवाई की सबसे बड़ी वजह टेरर फंडिंग, ट्रेनिंग कैंप्स का आयोजन और लोगों को चरमपंथी बनाने की सामने आई है. कहा तो यह भी जा रहा है पीएफआई चरमपंथी कैंप लगाती थी. गृह मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, अनलॉफुल एक्टिविटीज 1967 के सेक्शन 35 के तहत कई संगठनों पर बैन लगाया गया है.
कब-कब विरोध किया PFI ने?
मुस्लिमों का हितैषी बताने वाली PFI का नाम ज्यादातर हिंसा, दंगा और हत्यायों में आता रहा है. दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के दौरान शाहीनबाग हिंसा, जहांगीरपुरी हिंसा से लेकर यूपी में कानपुर हिंसा, राजस्थान के करौली में हिंसा, मध्य प्रदेश के खरगौन में हिंसा और कर्नाटक में भाजपा नेता की हत्या जैसे कांडों में PFI का नाम सामने आया था. इस संगठन पर भारत विरोधी एजेंडा चलाने के गंभीर आरोप लगे हैं. जांच एजेंसियों को इसके पुख्ता सबूत मिले हैं. हिंसा और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में PFI से जुड़े लोगों के शामिल होने की वजह से NIA ने छापेमारी की थी. जिसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने इस संगठन पर बैन लगा दिया.
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कब बना PFI?
16 फरवरी, 2007 को बेंगलुरू में हुए ‘एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस’ रैली हुई. यहीं से PFI का जन्म हुआ. इसका मुख्य कार्यालय दिल्ली में है. बाकी कर्नाटक, केरल, यूपी, मध्यप्रदेश में इसके संगठन और कार्यालय हैं. PFI खुद को अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए पर पड़े समुदायों के हक़ के लिए लड़ने का दावा करता है. PFI ने कर्नाटक में कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस की कथित जनविरोधी नीतियों पुरजोर विरोध किया था.