MCD Election : केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक वार्डों की संख्या घटाकर 272 से 250 कर दी गई है. इनमें से 42 वार्ड अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व किए जाएंगे
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नई दिल्ली: तीनों नगर निगमों के विलय के बाद बनी एकीकृत एमसीडी के चुनाव की तारीखों को लेकर चर्चा मंगलवार को एक बार फिर तेज हो गई. विलय के दौरान केंद्र सरकार ने दिल्ली में वार्डों की संख्या 272 से कम कर 250 करने का निर्णय लिया था और वार्डों के परिसीमन के लिए आयोग का गठन किया था. अब दिल्ली नगर निगम के 250 वार्ड के परिसीमन का काम पूरा हो गया है.
केंद्र सरकार ने 800 पन्नों की वार्ड परिसीमन अधिसूचना जारी कर दी. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक कुल 250 वार्डों में से 42 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगे. कौन से वार्ड आरक्षित होंगे, अब इस बारे में निर्णय दिल्ली राज्य चुनाव आयोग करेगा.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर आरक्षित वार्डों की संख्या तय की है. 2011 में एमसीडी क्षेत्र की 16418663 जनसंख्या थी और उनमें से 16.72 प्रतिशत जनसंख्या अनुसूचित जाति की थी. नए परिदृश्य में कुल 250 वार्ड है और तत्कालीन जनसंख्या के हिसाब से अनुसूचित जाति के लिए 42 वार्ड रिज़र्व रहेंगे.
महिलाओं के लिए सीट आरक्षण का फॉर्मूला
वहीं एमसीडी में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण है. 1997 से 2012 तक एमसीडी के क्षेत्र में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. आयोग ने 1997 में ड्रॉ के तहत महिलाओं के लिए वार्ड तय किए थे. 2007 में वार्ड नंबर तीन से महिलाओं के लिए वार्ड आरक्षित करने की शुरुआत की गई थी. बता दें 25 अगस्त को परिसीमन आयोग ने ड्राफ्ट डिलिमिटेशन रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी. 12 सितंबर से 3 अक्टूबर तक ड्राफ्ट डिलिमिटेशन रिपोर्ट पर सुझाव मांगे गए थे. वार्ड परिसीमन का काम पूरा होने के बाद ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि एमसीडी चुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द ही की जाएगी.
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अनुसूचित जाति को कौन से दिए जाएंगे वार्ड
दिल्ली राज्य चुनाव आयोग अनुसूचित जाति के वार्ड तय करने में अलग-अलग फार्मूला अपना चुका है. जहां 1997 में ड्रॉ के माध्यम से वार्ड आरक्षित किए गए थे, वहीं 2007 में अनुसूचित जाति की बहुलता वाले वार्ड इनके लिए आरक्षित किए गए थे, लेकिन एक विधानसभा क्षेत्र में अधिकतम दो वार्ड आरक्षित करने का फार्मूला अपनाया था. 2012 में एक विधानसभा क्षेत्र में एक वार्ड आरक्षित करने का फार्मूला अपनाया गया था. जबकि 2017 में अनुसूचित जाति बहुल वार्डों को आरक्षित किया गया था.