Delhi News: बायोडायवर्सिटी पार्क में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला हुआ शुरू, भटकने का भी है डर
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Delhi News: बायोडायवर्सिटी पार्क में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला हुआ शुरू, भटकने का भी है डर

Migratory Birds in Delhi: दिल्ली के जगत पुर में हर बार सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्कों में प्रवासी पक्षियों (Migratory Birds) के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. अक्टूबर महीने के आखिरी दिनों में दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्कों में कई प्रकार के प्रवासी पक्षी देखने को मिल रहे हैं. 

Delhi News: बायोडायवर्सिटी पार्क में प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला हुआ शुरू, भटकने का भी है डर

Delhi News: नॉर्थ दिल्ली के जगत पुर में हर बार सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्कों (Delhi Biodiversity Park) में प्रवासी पक्षियों (Migratory Birds) के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस बार भी अक्टूबर से ही पक्षियों का आगमन शुरू हो चुका है. अक्टूबर महीने के आखिरी दिनों में दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्कों में कई प्रकार के प्रवासी पक्षी देखने को मिल रहे हैं. दिल्ली में आने वाली पक्षी मुख्य रूप से साइबेरिया, चीन, साउथ अमेरिका और न्यूजीलैंड से आते हैं,

सबसे पहले आने वाले प्रवासी पक्षियों में ग्रेट कारमोरेंट हैं. हर साल यह पक्षी सबसे पहले यहां के बायोडायवर्सिटी पार्क में दस्तक देते हैं. इस बार भी इनका सबसे पहले 6 अक्टूबर को आगमन हो गया था. इसके अलावा फेरूजिनस पोचार्ड, यूरेसियन कूट, कामन मूरहेन, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ग्रे हेडेड फ्लाईकेचर, रेड थ्रोटेड फ्लाईकेचर, स्पाटबिल्ड डक, पर्पल स्वामहेन, टफटेल पोचार्ड जैसे पक्षियों का आगमन नवंबर की शुरुआत में हो जाएगा और दिसंबर में इस बायोडायवर्सिटी झील में पक्षी साफ दिखाई देंगे.

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इसी के साथ दिल्ली में प्रदूषण का प्रभाव भी काफी है. ऐसे में प्रवासी पक्षी अपना रास्ता भटक कर बायोलाजिकल ट्रैप का शिकार हो सकते हैं. दिल्ली के सभी बायोडायवर्सिटी पार्क के इंचार्ज और विज्ञानी डा. फैयाज खुदसर ने बताया कि ऐसा देखा गया है कि दिल्ली में आने से पहले कुछ पक्षी यहां रेकी (मुआयना) करने आते हैं. उसके बाद पक्षियों का झुंड यहां प्रवास करता है. इस बीच स्मॉग के कारण ऐसा हो सकता है कि उन्हें रास्ता समझ न आए और वह खतरे वाले स्थान पर पहुंच जाएं. आपको बता दे यह प्रवासी पक्षी अपने इलाको में वेटलैंड जमने के बाद वहां प्रवास करते हैं. 

डॉ फैयाज के अनुसार सर्दियां शुरू होते ही इन प्रवासी पक्षियों के स्थानीय वेटलैंड जम जाते हैं तो उनका भोजन भी समाप्त हो जाता है. इसलिए वह ऐसे भूमि की तलाश करते हैं, जहां अच्छा भोजन मिल सके. वह तीन महीने गुजारते हैं. फिर वह वापस जाकर वहां अंडा देते हैं. क्लाइमेट चेंज की वजह से वह कई बार वह देर से आते हैं क्योंकि बर्फ देर से जमते हैं और वह वहां से देर से निकलते हैं.

आपकी बात दें कि यह पक्षी माइग्रेटी रूट अथार्त साइबेरिया से अफगानिस्तान, पाकिस्तान से होते हुए राजस्थान के रास्ते दिल्ली में प्रवेश करते हैं. ऐसा देखा गया कि कम अवधि में कहीं अधिक वर्षा होती है और रास्ते में कहीं तालाब या वॉटर बॉडी मिल जाती है तो पक्षी वहीं रुक जाते हैं, लेकिन इस बार पक्षी बायोडायवर्सिटी पार्क में अक्टूबर की शुरुआत में ही पहुंच गए. इसके बाद अब यहां का माहौल खुशनुमा है. 

Input: नसीम अहमद

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