Nasa Mission Moon 2024: नासा साल 2024 में आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी कर रहा है. ये वहां जाकर लिक्विड सैंपल इकट्ठा करेंगे. इसके लिए अंतरिक्ष याक्षियों को एक एस्ट्रोनॉट्स रोवर की जरूरत पड़ेगी. इसके लिए गाजियाबाद के इंजीनियरिंग के छात्रों ने एक 75 किलो का एक रोवर तैयार किया है, जो चांद पर उतरते ही 1 सेकेंड में असेंबल हो जाएगा. वहीं 5 सेकेंड में स्पीड पकड़ लेगा. वहीं यह मैन्युअल है तो इसके लिए पॉवर बैकअप की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. 


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यूपी से 3 टीमों का हुआ चयन
दरअसल इस रोवर के लिए नासा ने दुनियाभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों से इसके सुझाव मांगे हैं. वहीं इस कॉम्पिटिशन का नाम ‘नासा ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज 2023’ दिया है. इसके लिए दुनियाभर से 61 टीमें चुनी गईं हैं, जिसमें भारत की 8 और केवल उत्तर प्रदेश से 3 टीमें हिस्सा ले रही हैं. हफ्तेभर बाद चुनी गईं टीमें अपने-अपने रोवर की विशेषताएं बताएंगी. ऐसे में गाजियाबाद के काईट कॉलेज के स्टूडेंट्स ने खास रोवर तैयार किया है. उनका दावा है कि मून पर जाने के लिए उनका मैन मेड रोवर सबसे अच्छा साबित होगा.


20 से 22 अप्रैल तक होगी प्रतियोगिता
बता दें कि पिछले साल इसके लिए कॉलिजों से एंट्री मांगी गई थी. सितंबर 2022 में इंजीनियरिंग छात्रों ने रोवर के बारे में अपने-अपने डिजाइन प्रोजेक्ट सबमिट किए थे. वहीं अक्टूबर में इसका रिजल्ट आया था. वहीं दुनियाभर से 61 टीमों को रोवर तैयार करने के लिए चुना गया था. इसके उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के काईट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस, नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी और शिव नाडर यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग छात्रों की टीम का इस प्रोजेक्ट के लिए चयन हुआ था.


बता दें कि 20 से 22 अप्रैल तक ये प्रतियोगिता हंट्सविले, अलबामा, यूएस (नासा के अंतरिक्ष और रॉकेट केंद्र) में होगी. इसमें खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए दुनियाभर की 61 टीमें सबसे बेहतर मैन मेड रोवर का आविष्कार करने के लिए एक-दूसरे से कॉम्पिटिशन करेंगी.


पहले भी ले चुके हैं प्रतियोगिता में भाग
इस प्रतियोगिता को लेकर काईट कॉलेज की टीम के मेंटर तुहिन श्रीवास्तव के अनुसार, काईट ने तीसरी बार नासा ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज में भाग लिया है. उन्होंने बताया कि 2019 में हमें प्रतिष्ठित AIAA नील आर्मस्ट्रांग बेस्ड डिजाइन अवार्ड मिला था. साल 2021 में हमें फीनिक्स अवार्ड मिला. साथ ही उन्होंने इस साल प्रतियोगिता जीतने की पूरी उम्मीद जताई है.


टीम लीडर बोले आसान नहीं थी राह
इस 6 सदस्यीय छात्रों की टीम के कप्तान अगम जैन ने बताया कि यह हमारे लिए आसान यात्रा नहीं थी. पूरी-पूरी रात जागकर हमने अपने रोवर को डिजाइन और असेंबल किया है. पांच फिट लंबाई-चौड़ाई साइज के बॉक्स में रोवर को फिट करना, फ्रेम की स्ट्रेंथ, व्हीकल के वजन को ध्यान में रखने जैसे सभी कड़े टास्क थे. पर हमें पूरा विश्वास है कि हमारा रोवर प्रतियोगिता में मिलने वाली सभी कठिनाइयों को आसानी से पार कर लेगा और प्रतियोगिता में हम ही जीतेंगे.


रोवर की विशेषताएं
यह मैन मेड रोवर 5 फीट लंबा और 5 फीट ही चौड़ा है, जिसे डिजाइन और तैयार करने में 6 महीने लगे और फेब्रिकेशन में भी 6 महीने लगे. इसका वजन 75 किलो है और यह चंद्रमा की सतह पर उतरने के 1 सेकेंड में ही असेंबल हो सकता है. वहीं अगले 5 सेकेंड में चलने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा. इसके चारी व्हील मैनुअल ड्राइव हैं. इसलिए इसमें पॉवर बैकअप की जरूरत नहीं होगी. इस पर 2 एस्ट्रोनॉट्स पैरों से मूवमेंट कर इसे चला सकेंगे. इसके माध्यम से वो बैठे-बैठे ही चंद्रमा की सतह से सैंपल इकट्ठा कर वापस स्पेस शटल में आ सकते हैं.