National Doctors Day 2024: डॉक्टर होना कितना खास? दिल्ली-एनसीआर के डॉक्टर ने दिया स्पेशल मैसेज
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National Doctors Day 2024: डॉक्टर होना कितना खास? दिल्ली-एनसीआर के डॉक्टर ने दिया स्पेशल मैसेज

National Doctors Day 2024: दिल्ली के डॉक्टर्स ने बताया कि यह काम उनके लिए कितना खास है. इस पर वह गर्व करते हैं. लोगों को समझना चाहिए कि  एक डॉक्टर मरीजों और उनके तीमारदारों की परेशानी को दूर करने के लिए ही काम करता है.

National Doctors Day 2024: डॉक्टर होना कितना खास? दिल्ली-एनसीआर के डॉक्टर ने दिया स्पेशल मैसेज

National Doctors Day 2024: आज का दिन बेहद खास है, क्योंकि आज पूरा भारत डॉक्टर्स डे मना जा रहा है. इस दिन भारत के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय (Dr. Bidhan Chandra Roy) का जन्मदिन और पुण्यतिथि भी है. ये वही खास दिन है, जब लोगों को डॉक्टरों के महत्व के बारे में बताया जाता है. ये दिन बिधान चंद्र रॉय को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने वाला है. इस मौके पर दिल्ली में वर्षों से चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान दे रहे डॉक्टर्स ने बताया कि डॉक्टर होना उनके लिए कितने सम्मान की बात है और इससे उन्हें कितनी खुशी मिलती है. 

दरअसल, हर साल नेशनल डॉक्टर्स डे का थीम अलग होती है. इस बार की थीम ‘Healing Hands, Caring Hearts’ रखी गई है, जो डॉक्टरों की ओर से अपने चिकित्सा अभ्यास में लाए जाने वाले समर्पण, करुणा और सहानुभूति पर जोर देती है.

भारत में कब हुई नेशनल डॉक्टर्स डे की शुरुआत?
पूरी दुनिया के अलग-अलग देशों में डॉक्टर्स डे को अलग-अलग दिन सेलिब्रेट किया जाता है, लेकिन भारत में नेशनल डॉक्टर्स डे की शुरुआत 1991 में तत्कालीन सरकार द्वारा की गई थी. तब से हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. 1 जुलाई 1882 में देश के फेमस फिजीशियन डॉ. बिधान चंद्र राय का जन्म हुआ था और 80 वर्ष की उम्र में 1 जुलाई 1962 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा था. चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मान देने के मकसद से 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत की गई थी. 

डॉक्टर होना कितना खास?
नई दिल्ली के पश्चिम विहार में स्थित एक्शन कैंसर हॉस्पिटल में चिकित्सा ऑन्कोलॉजी विभाग के यूनिट प्रमुख और सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर कुमार दीप दत्ता चौधरी ने कहा कैंसर रोग विशेषज्ञ होना एक चुनौतीपूर्ण लेकिन फायदेमंद अनुभव है. मरीजों के संघर्ष को देखना कठिन होता है, लेकिन जब वह ठीक हो जाते हैं और उनके चेहरे पर मुस्कान आती है तो वह देखना अविश्वसनीय होता है.

लोग डॉक्टर को समझें 
गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में रेडिएशन कैंसर विज्ञान सेंटर की चेयरपर्सन डॉ. तेजिंदर कटारिया कहती हैं कि डॉक्टर बनना आत्मा को सुख देने वाला अनुभव है, क्योंकि आप किसी अन्य इंसान की मुश्किल के समय उसकी मदद कर सकते हैं. मरीजों के चेहरे पर मुस्कान लाना और उनके परिवार के खुशी के पलों में शामिल होना, ये खास है. मैं चाहती हूं कि लोग समझें कि एक डॉक्टर उनके साथ मिलकर उनकी परेशानी को दूर करने के लिए काम कर रहा है. 

कौन थे डॉ. बिधान चंद्र रॉय?
डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना जिले में हुआ था. उन्होंने कोलकाता में अपनी मेडिकल की शिक्षा पूरी की. उन्हें एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि लंदन से मिली थी. साल 1911 में उन्होंने भारत में अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की. वो कोलकाता मेडिकल कॉलेज में व्याख्याता भी बने. उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था.

 

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