Delhi: सिद्धपीठ श्री साईं कालका मंदिर में मनाया Maa Kali का जन्मदिन, ढोल-नगाड़ों के साथ निकली विशाल कलश यात्रा
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Delhi: सिद्धपीठ श्री साईं कालका मंदिर में मनाया Maa Kali का जन्मदिन, ढोल-नगाड़ों के साथ निकली विशाल कलश यात्रा

Navratri 2023: नवरात्रि के सातवें दिन आज साउथ दिल्ली स्थित असोला में सिद्ध पीठ श्री साईं कालका मंदिर में भी बड़े ही धूमधाम से कालका मां के भक्तों ने कलश यात्रा निकाली और मां कालका का जन्मदिन मनाया गया. 

Delhi: सिद्धपीठ श्री साईं कालका मंदिर में मनाया Maa Kali का जन्मदिन, ढोल-नगाड़ों के साथ निकली विशाल कलश यात्रा

नई दिल्ली: चैत्र नवरात्री के पावन अवसर पर जहां एक तरफ देश के तमाम मंदिरों में बड़े ही धूमधाम से अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी लाइन देखने को मील रही है. इसी कड़ी में नवरात्रि के सातवें दिन आज साउथ दिल्ली स्थित असोला में सिद्ध पीठ श्री साईं कालका मंदिर में भी बड़े ही धूमधाम से कालका मां के भक्तों ने कलश यात्रा निकाली. इस यात्रा में हजारों की तादाद में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. ढोल नगाड़े की धुन पर भक्ति भाव से मग्न होकर नाचते दिखे. 

इस यात्रा में जहां एक तरफ सैकड़ो की तादाद में महिलाओं ने सर पर कलश रखकर नगर का चक्कर लगाया. वहीं उनके पीछे हजारों की तादाद में भक्तों ने मां के झंडे लेकर शोभा यात्रा में हिस्सा लिया. सिद्ध पीठ श्री साईं कालका मंदिर में आए भक्तों के रूकने और उनके भोजन की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई थी. जो लोग नवरात्रि में व्रत रखते हैं उनके लिए भी अलग से भोजन का प्रबंध किया गया था. यह यात्रा मंदिर से हर साल की तरह मां कालका के जन्मदिवस पर निकाली जाती है और इस यात्रा में हजारों की तादात में मां कालका से जुड़े श्रद्धालु हिस्सा लेकर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

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आपको बता दें कि इस यात्रा का समापन मां कालका की महा आरती और केक काटकर किया जाता है. इस मौके पर सभी श्रद्धालु उत्साहित नजर आए और मां कालका के जयकारे लगाते और ढोल नगाड़ों में जमकर थिरकते हुए नजरग आए.  वही मीडिया से बात करते हुए सिद्ध पीठ श्री साईं कालका मंदिर की प्रमुख श्री लाडली सरकार ने बताया कि मंदिर में हर साल इसी तरह के धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं, जिससे भक्तगण मां कालका और दूसरे देवी-देवताओं के साथ अंतरात्मा से जुड़े रहते हैं और इसके साथ-साथ अपने धर्म और संस्कृति को भी पहचान कर उस पर चलने की कोशिश करते है. मंदिर का मकसद यही है कि हमारे धर्म और संस्कृति से लोगों का जुड़ाव हो और हमारे पूर्वजों द्वारा की गई पूजा पद्धति पर चल सके.

Input: मुकेश सिंह