Subhas Chandra Bose Jayanti 2023: जानें किसने और क्यों दी सुभाष चंद्र बोस को नेताजी की उपाधि
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Subhas Chandra Bose Jayanti 2023: जानें किसने और क्यों दी सुभाष चंद्र बोस को नेताजी की उपाधि

सुभाष चंद्र बोस जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिल दहला देने वाले दृश्य से  काफी विचलित हुए. इसके बाद ही वे भारत की आजादी संग्राम में जुड़ गए. सुभाष चंद्र बोस को 1921 से 1941 के बीच में 11 बार देश के अलग-अलग जेल में कैद किया गया.

Subhas Chandra Bose Jayanti 2023: जानें किसने और क्यों दी सुभाष चंद्र बोस को नेताजी की उपाधि

Netaji Subhas Chandra Bose Jayanti 2023: भारत को आजाद कराने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एक अहम भुमिका निभाई थी. उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था. इसी दौरान नेताजी ने यह नारा दिया था कि तुम मुझे खून दो मैं तु्म्हें आजादी दुंगा. इसको सुनकर आज भी हर भारतीय के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. सुभाष चंद्र बोस उस समय जवाहर लाल नेहरू से भी ज्यादा लोकप्रिय नेता थे. वहीं इस बार देश नेताजी की 127वीं जयंती मनाएगा.

भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए नेताजी ने कई आंदोलन किए. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ छिड़े जंग की ज्वाला को और तेज करने के लिए खुद की फौज आजाद हिंद फौज की स्थापना भी की. चलिये आज देश के पराक्रम स्वतंत्रता सेनानी नेताजी के जीवन से जुड़े अहम पहलू और रोचक बातों के बारे में आपको बताते हैं.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का प्रभावती देवी था. सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे और पढ़ाई में तेज थे. उन्होंने इंग्लैंड के क्रैंब्रिज यूनिवर्सिटी से सिविल परीक्षा पास की, लेकिन 1921 में जब उन्होंने अंग्रेजों द्वारा भारत में किए जाने शोषण के बारे पढ़ा तो उसी वक्त भारत को आजाद कराने का प्रण ले लिया और इंग्लैंड में प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर अपने देश वापस आ गए और आजादी की मुहिम में जुट गए. इस दौरान उन्होंने अपनी एक फौज बनाई. उनका नारा था ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा. वहीं नेताजी ने ही महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ कह कर संबोधित किया था.

कैसे मिली नेताजी की उपाधी
आपको बता दें कि जर्मन के तानाशाह अडोल्फ हिटलर ने ही सुभाष चंद्र बोस को सबसे पहली बार नेताजी कहकर बुलाया था. बता दें कि हिटलर किसी से भी डायरेक्ट नहीं मिलता था, उसे अपनी मौत का डर रहता था, इसलिए उसने अपने जैसे कई हमशक्ल तैयार कर रख थे. जब नेताजी हिटलर से मिलने गए तो हिटलर के डुपलीकेट उनके सामने आए, लेकिन उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया. इसके बाद हिटलर खुद नेताजी के पास आया तब जाकर नेताजी ने उनका अभिवादन किया. उनकी चतुराई देखकर हिटलर ने उन्हें नेताजी की उपाधी दी थी. इसके बाद से ही वो दुनिया भर में नेताजी के नाम से विख्यात हो गए. सुषाभ चंद्र बोस को नेताजी के साथ ही देश नायक भी कहा जाता है. कहा जाता है कि देश नायक की उपाधि सुभाष चंद्र बोस को रवीन्द्रनाथ टैगोर से मिली थी.

सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की बात करें तो यह आज तक रहस्य बना है, क्योंकि आज तक उनकी मृत्यु से पर्दा नहीं उठ सका. बता दें कि 1945 में जापान जाते समय सुभाष चंद्र बोस का विमान ताईवान में क्रेश हो गया. हालांकि हादसे के बाद उनका शव नहीं मिला था.

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