Ghaziabad News: 31 साल पहले अपहरण किए गए राजू के मामले में आया नया ट्विस्ट, पुलिस उठाकर ले गई घर से
Ghaziabad News Hindi: पुलिस को जानकारी मिली है कि राजू ने जुलाई में देहरादून पुलिस को भी अपहरण की वही कहानी सुनाई थी, जैसा जिक्र उसने गाजियाबाद पुलिस से किया था. अब राजू की कहानी में दो राज्यों की पुलिस उलझ गई है.
Crime News: गाजियाबाद के शहीद नगर इलाके से अपहरण किए गए राजू के 31 साल बाद खोए हुए परिवार से मिलने के मामले में अब साहिबाबाद थाना पुलिस उलझ गई है. अब सूचना मिली है कि राजू कुछ महीने पहले देहरादून में रहने वाले एक परिवार के साथ उनका खोया बेटा बनकर रह चुका है. इन दोनों में जो एक चीज कॉमन है, वह है राजू द्वारा अपहरण कर बंधक बनाए जाने और घर वापसी की कहानी. राजू की देहरादून में रहने वाली बुजुर्ग महिला के साथ एक फोटो ने भी इस गुत्थी को उलझा दिया है. पुलिस ने राजू को गाजियाबाद के जिस परिवार को सौंपा था, शनिवार शाम वहां पहुंच गई. पुलिस पूछताछ के लिए राजू को अपने साथ थाने ले गई और मामले की तह तक जानने के लिए आज उसके साथ देहरादून रवाना हो गई.
दरअसल इसी हफ्ते राजू गाजियाबाद के खोड़ा थाने में पहुंचा था. उसने पुलिस को बताया था कि वह गाजियाबाद का रहने वाला है और 30 साल पहले जब वह स्कूल से घर लौट रहा था तो कुछ ऑटो सवार लोगों ने उसका अपहरण कर लिया था. इसके बाद उसे राजस्थान के जैसलमेर इलाके में ले जाया गया. यहां उससे भेड़ बकरी चराने का काम कराया जाता था और इसके बाद जंजीर से बांध दिया जाता था. राजू ने बताया कि उससे मारपीट की जाती थी और खाने के लिए भी एक रोटी दी जाती थी. इसके बाद पुलिस ने बच्चों के गुमशुदा होने और अपहरण के 30 साल पहले दर्ज मामां को खंगालना शुरू कर दिया.
काम की तलाश में देहरादून से निकला था
इस दौरान पुलिस को पता चला कि साहिबाबाद थाने में ऐसी ही एफआईआर दर्ज हुई थी. इसके बाद पुलिस एक रिटायर्ड बिजली कर्मचारी तुलाराम के घर पहुंच गई. परिवार के खोए हुए बच्चे की जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस ने राजू को उन्हें सौंप दिया, लेकिन अब इस मामले में एक ट्विस्ट आ गया है. गाजियाबाद पुलिस को सूचना मिली है कि राजू जुलाई माह में देहरादून पुलिस के पास भी पहुंचा था और अपने अपहरण की ऐसी ही कहानी सुनाई थी कि वो देहरादून का रहने वाला है और बचपन कुछ लोग उसे अपरण कर राजस्थान ले गए थे. देहरादून के पटेल नगर इलाके में रहने वाली बुजुर्ग महिला आशा देवी ने उसकी पहचान अपने खोए हुए बेटे के रूप में की थी. इसके बाद कुछ महीने वहां रहने के बाद राजू अक्टूबर में काम करने की बात कह कर दिल्ली चला आया था.
परिजन बोले- शाम को घर से निकलने की करता था जिद
राजू गाजियाबाद के जिस घर में रहा, जब उसकी कथित बड़ी बहन संतोष, चचेरे भाई सुरेश पाल और मां लीलावती से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि राजू दिन में तो ठीक रहता था, लेकिन शाम होते ही घर से निकलने की जिद करने लगता था. अब पुलिस राजू की असलियत पता करने की कोशिश कर रही है. पुलिस राजू को देहरादून ले गई है, ताकि पता लगाया जा सके कि पटेल नगर आशा देवी ने जिसे अपना बेटा बताया था, क्या वह युवक राजू ही है या फिर कोई और. कहीं ऐसा तो नहीं कि राजू पुलिस को गुमराह कर रहा है और क्यों दोनों परिवारों को ऐसा महसूस हुआ कि राजू उनका खोया हुआ बेटा है. शक इसलिए भी है, क्योंकि राजू ने गाजियाबाद पुलिस को देहरादून से जुड़ी कोई कहानी नहीं बताई.उसने बताया था कि राजस्थान से वह एक ट्रक में सवार होकर सीधे दिल्ली आया था.
इनपुट: पीयूष गौड़
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