Noida Lift ACT 2024: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में पिछले कुछ दिनों बहुमंजिला इमारतों में लगी लिफ्ट के गिरने से कई बड़े हादसे सामने आ चुके हैं. लगातार हो रहे इन हादसों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक लिफ्ट एक्ट 2024 (Lift ACT 2024) लागू किया है. नियमों के अनुसार, लिफ्ट हादसे होने पर बिल्डिंग के मालिकों को 24 घंटे के अंदर जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate), संबंधित प्राधिकरण और स्थानीय कोतवाली को इसकी सूचना देनी होगी. दुर्घटना की सूचना मिलने पर जिला मजिस्ट्रेट विद्युत निरीक्षक से पहले जांच कराएंगे. इसकी रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही लिफ्ट की मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा.


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नियमित रूप से करानी होगी जांच-


उत्तर प्रदेश सरकार की तरह से लागू किए गए नियमों के अनुसार, एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (AMC) करना जरूरी कर दिया है. इसका मतलब अब बहुमंजिला इमारतों का निर्माण करने वाले बिल्डर और एओए को नियमित रूप से लिफ्ट की जांच जरूर से करवानी होगी. इस बात की जानकारी उन्हें प्राधिकरणों को देनी होगी. बेहद ही कम लोगों का पता होगा कि 10 राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम,  हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल में लिफ्ट एक्ट पहले से लागू है. मगर अब ये नियम पूरी तरह से उत्तर प्रदेश में कर दिया गया है.


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इतने लाख लोगों को मिलेगी राहत-


यूपी सरकार के इस नियम के बाद प्रदेश के करोड़ों लोगों को लाभ होने वाला है. बता दें कि यूपी के गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में सबसे अधिक बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया गया है और आने वाले समय में यह आकांड़ा तेजी के साथ बढ़ रहा है और बढ़ेगा. इसी के चलते योगी सरकार की लिफ्ट एक्ट से प्रदेश करोड़ों लोगों को लाभ मिलने वाला है.


इसी के साथ अगर हम बात करें, नोएडा और ग्रेटर नोएडा की तो इन इलाकों में भी 600 से ज्यादा बहुमंजिला सोसायटी हैं और 310 के करीब ग्रुप हाउसिंग परियोजना हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यहां साढ़े चार लाख के करीब फ्लैट हैं. इनमें 10 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं, लेकिन सरकार के इस एक्ट से जवाबदेही पक्का तय हो गई है,  जिसका लाभ इन सभी लोगों को मिलने वाला है.


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लिफ्ट एक्ट के प्रमुख नियम-


- बिल्डिंग में लिफ्ट या एस्कलेटर लगवाने से पहले संबंधित प्राधिकरण व प्रशासन से पंजीकरण कराना होगा.


- निजी परिसर और सार्वजनिक परिसर दोनों के लिए अलग-अलग पंजीकरण किया जाएगा.  


- लिफ्ट लगने के बाद और इसके संचालन से पहले सरकार द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी को इसकी पूरी सूचना देनी होगी.


- लिफ्ट के संचालन से पहले एनुअल मेंटेनेंस कान्ट्रेक्ट (Annual Maintenance Contract) लेना होगा. इसके तहत नियम समय पर इसका देखरेख का कार्य अनिवार्य कराना होगा.


- लिफ्ट में किसी भी तरह की खराबी होने पर तकनीकी टीम या किसी खराबी के दूर करने की दशा में AMC तकनीकी टीम से प्रमाण पत्र लेना होगा, जिसे अनुरक्षण लाग बुक में लिखा होगा.


- एक्ट के तहत आपातकालीन स्थिति में किसी के फंसने और सुरक्षित बाहर निकालने के लिए साल में दो बार माक ड्रिल (Mock Drill) कराना होगा.


- एक्ट लागू होने के 6 महीने के बाद पंजीकरण कराना होगा.


- अगर आपको लिफ्ट शिफ्ट करवाना हो तो उसके लिए आपको फिर से पंजीकरण करवाना होगा.


- यूपी सरकार के इस नियम से पहले जिन इमारतों में लिफ्ट लग चुकी है उसके पंजीकरण को 6 महीने में पंजीकरण कराना होगा.


- लिफ्ट एक्ट के नियम के तहत अगर आप लिफ्ट में किसी तरह का बदलाव करवाना चाहिए तो उसके लिए 30 दिन में आपको पंजीकरण करवाना होगा. इस बीच किसी भी तरह की कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी.


- प्रत्येक रजिस्ट्रेशन की अवधि लिफ्ट या एस्कलेटर के संपूर्ण जीवनकाल के लिए होगी.


लिफ्ट का बीमा जरूरी-


- बिल्डिंग के मालिकों को लिफ्ट के लिए नियमित रूप से बीमा करवाना होगा, जिसकी मदद से दुर्घटना होने पर लिफ्ट में सवार लोगों को जोखिम कवर मिल सके. ये राशि सरकार द्वारा मानकों के अनुरूप होगी.


- इसी के साथ सार्वजनिक जगहों पर लिफ्ट और एस्कलेटर दिव्यांगों के अनुकूल होगी. लिफ्ट खराब होने पर अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए लिफ्ट में बचाव के लिए डिवाइस लगी होनी चाहिए.


- लिफ्ट निकटतम लैंडिंग तल पर पहुंचे और दरवाजे खुल जाएं. सार्वजनिक स्थानों पर संचालित होने वाली लिफ्ट में सीसीटीवी कैमरा जरूरी है.