Delhi News: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की पंचशील ग्रींस वन सोसाइटी में प्ले स्कूल को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. नया विवाद उस समय खड़ा हो गया जब सोसाइटी की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) टीम के सदस्य ने छोटे-छोटे बच्चों को लिफ्ट का प्रयोग करने से रोक दिया. लिफ्ट में सवार बच्चों को नीचे उतार दिया गया. सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद सोसाइटी के रेजिडेंट्स भड़क गए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने कहा कि मेंटेनेंस लेने के बाद एओए लिफ्ट का प्रयोग करने से उन्हें कैसे रोक सकती है. यह विवाद 2 अक्टूबर को उस समय शुरू हुआ जब पंचशील ग्रीन-1 सोसाइटी के बी-2 टॉवर की दूसरी मंजिल पर फ्लैट नंबर 201 और 203 में चल रहे प्ले स्कूल को लेकर इस फ्लैट के आसपास रहने वाले रेजिडेंट्स का कहना है कि स्कूल में आने वाले बच्चों के शोर से वे काफी परेशान हो गए हैं. उनकी मांग है कि स्कूल को कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए.


ये भी पढ़ेंः Noida Traffic Advisory: अमित शाह के दौरे के चलते Noida की ये सड़के रहेंगी बंद, ट्रैफिक एडवाइजरी हुई जारी


सोसाइटी में रहने वाले कई परिवारों के बच्चे इसी प्ले स्कूल में आते हैं, जिनके अभिभावकों का कहना है कि सोसाइटी के भीतर प्ले स्कूल होने से उन्हें काफी सुविधा होती है. वो बच्चों को यहीं भेज देते हैं. स्कूल के करीब होने से उन्हें सुरक्षा की भी अधिक चिंता नहीं होती. रेजिडेंट्स के विरोध के बाद स्कूल प्रबंधन ने इसे बंद करने का नोटिस चस्पा कर दिया है.


प्ले स्कूल में आने वाले बच्चों के अभिभावकों ने इसका जमकर विरोध और हंगामा हुआ. मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाकर मामला शांत करा दिया था. पुलिस ने एओए को प्राधिकरण या कोर्ट के माध्यम से कार्रवाई करने को कहा था. सोसाइटी की अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) टीम के सदस्य विपिन टोंक ने बृहस्पतिवार को छोटे-छोटे बच्चों को लिफ्ट का प्रयोग करने से रोक दिया और लिफ्ट में सवार बच्चों को नीचे उतार दिया और उन्हें जबरन सिढी स्कूल भेजा गया.



इस बीच अभिभावक और एओए सदस्य के बीच काफी बहस हुई. अभिभावकों का कहना है कि मेंटेनेंस लेने के बाद एओए लिफ्ट का प्रयोग करने से उन्हें कैसे रोक सकती है. सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया है, जिसके बाद बैक फुट पर आये एओए ने बयान जारी कर कहा कि जिन्होंने बच्चों को रोका है, वह एओए के सदस्य हैं, लेकिन यह फैसला एओए का नहीं है. यह टावर के निवासियों का मामला है. इस मामले का समाधान बातचीत से निकालने की जरूरत है.


(इनपुटः बलराम पांडेय)