अंकित मिश्र/नोएडा: ट्विन टावर को ध्वस्त करने में सबसे बड़ी भूमिका में नोएडा पुलिस की भी रही है. पुलिस ने 13 से 28 अगस्त तक कंपनी के कहने पर ट्विन टावर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाली थी. लगभग 550 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी इसके लिए लगाई गई थी. इसमें विस्फोटक लाने वाली दो स्कॉट की गाड़ियां भी शामिल थीं. अब पुलिस ने कंपनी से 64 लाख रुपये मांगे हैं. 


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पुलिस विभाग ने एडिफिस कंपनी को बाकायदा एक लेटर लिखा है. जिसमें कहा गया है कि 13 से 28 अगस्त तक कंपनी के कहने पर ट्विन टावर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था की गई. 16 दिन तक पुलिस जवानों की ड्यूटी यहां लगाई गई. इसके एवज में 64 लाख रुपये देने होंगे. विभाग ने मांग पत्र एडिफिस को दे दिया है. 


आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ट्विन टावर को गिराने की रूपरेखा तैयार हो गई थी. इसके लिए नोएडा अथॉरिटी ने बाहर की कंपनी एडिफिस को लगाया था. कंपनी बारूद से लेकर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जो-जो मांग करती गई, गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने पूरा किया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश आने के बाद तय हुआ कि ट्विन टावर को अगस्त में गिराया जाए. पहले तारीख 21 अगस्त तय की गई, जिस पर कंपनी ने कुछ और वक्त मांगा था, जिस पर कोर्ट ने एक हफ्ते का समय बढ़ाकर 28 अगस्त अंतिम तारीख दे दी थी.


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इसके बाद अगस्त में ट्विन टावर को पुलिस ने अपने दायरे में ले लिया. इसे विस्फोट करने लिए लाई गई 3700 बारूद को हरियाणा के पलवल में रखा गया था. रोजाना पुलिस की दो गाड़ियों की सुरक्षा में तय विस्फोटक लाया जाता और ट्विन टावर में होल करके लगाया जाता. साथ ही ट्विन टावर के आस-पास कोई न जाए, इसकी जिम्मेदारी नोएडा पुलिस के पास थी. एमराल्ड कोर्ट के पास की सोसाइटी के लोगों को भी ट्विन टावर्स के पास नहीं जाने दिया जाता था. इन्हीं सब चीजों में पुलिस ने बाखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाई. चप्पे-चप्पे की सुरक्षा पुलिस के जिम्मे थी.