Twin Towers के मलबे का क्या करेगी अथॉरिटी, कहां जाएगा 80 मीट्रिक टन वेस्ट मटेरियल?
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Twin Towers के मलबे का क्या करेगी अथॉरिटी, कहां जाएगा 80 मीट्रिक टन वेस्ट मटेरियल?

ट्विन टावर अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए. इसे ध्वस्त कर दिया गया. करीब 15 करोड़ का खर्च आया, लेकिन इससे 80 मीट्रिक टन मलबा भी निकला. सवाल ये है कि इस मलबे को कहां डंप किया जाएगा, क्या-क्या काम में लेगी अथॉरिटी?

Twin Towers के मलबे का क्या करेगी अथॉरिटी, कहां जाएगा 80 मीट्रिक टन वेस्ट मटेरियल?

नोएडा: नोएडा में भ्रष्टाचार का ट्विन टावर जमींदोज हो गया है. इसे बनाने में 300 करोड़ रुपये का खर्च आया था, जबकि ध्वस्त करन में 15 करोड़ रुपये लगे. 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया था. इसके ध्वस्त होने पर करीब 80 मीट्रिक टन मलबा निकला है. इसका क्या होगा, कहां डंप किया जाएगा, इसे लेकर लोगों में चर्चा है. 

आधिकारिक सूत्रों की मानें तो 80 में से 50 टन मलबे से ट्विन टावर की साइट को भरा जाएगा. बाकि बचे 30 टन मलबे का इस्तेमाल कैसे होगा, इसका प्लान नोएडा अथॉरिटी ने बना लिया है. प्राधिकारण के अधिकारियों के मुताबिक ट्विन टावर  के मलबे से टाइल्स बनाई जाएंगी. इन टाइल्स को फुटपाथ पर लगाएगा. वेस्ट मटेरियल को सुपरटेक और एडिफिस कंपनी द्वारा कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट (सी एंड डी प्लांट) फैसिलिटी सेक्टर 88 नोएडा भेजा जाएगा. इस पर जो खर्चा आएगा उसे एडिफिसि कंपनी से लिया जाएगा. 

 एंड डी वेस्ट प्लांट में जाएगा 30 मीट्रिक टन मलबा
बता दें कि ट्विन टावर का मलबा 2-3 दिन में हटना शुरू हो जाएगा. पहले मलबे को अलग किया जाएगा. जो भी लोहे का मटेरियल निकलेगा, उसे अलग किया जाएगा. इसके बाद बचे वेस्ट और उसके बाद इसको सी एंड डी वेस्ट प्लांट भेज जाएगा. इसके मलबे से ईंट बनाई जाएंगी. ये पूरी प्रोसेस नोएडा अथॉरिटी की निगरानी में होगी. 

मलबे से बनेगी सीमेंट और टाइल्स
इस प्लांट की क्षमता रोजाना तीन सौ मीट्रिक टन की है. मलबे को डंपर से प्लांट तक पहुंचाया जाएगा. सी एंड डी वेस्ट प्लांट में मलबे को रिसाइकल कर उससे सीमेंट और टाइल्स बनाई जाएंगी. इसके लिए प्राधिकरण ने हरी झंडी दे दी है. अथॉरिटी का दावा है कि अगले तीन महीने में पूरी तरह से मलबा साफ कर दिया जाएगा.

लोहे की रॉड का क्या होगा?
यह भी पता चला है कि मलबे में करीब 7000 टन के करीब लोहा निकल सकता है. 7000 टन लोहे की कीमत 55 रुपए/किलो के हिसाब से 38 करोड़ रुपये बैठती है. औसतन 500 रुपये प्र‍ति ट्रॉली मलबे की कीमत कई करोड़ रुपये तक जा सकती है. लगभग 1200 से 1300 ट्रक लोड करके मलबे को साइट से बाहर निकाला जाएगा. इस तरह जो कंपनी मलबा खरीदती है, वह करोड़ों रुपये कमा सकता है. अथॉरिटी इसे बेचकर खर्च की भरपाई करेगी. 

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