ट्विन टावर के बनने और ध्वस्त होने की पूरी कहानी, कैसा रहा 2004 से लेकर 2022 तक सफर
यह मामला 15 साल पुराना है. नोएडा के सेक्टर-93ए के सुपरटेक ट्विन टावर को गिरने का कांउडाउन शुरू हो चुका है. रविवार यानी 28 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर ये ट्विन टावर गिराया जाएगा. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं.
Supertech Twin Tower Demolition: यह मामला 15 साल पुराना है. नोएडा के सेक्टर-93ए के सुपरटेक ट्विन टावर को गिरने का कांउडाउन शुरू हो चुका है. रविवार यानी 28 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर ये ट्विन टावर गिराया जाएगा. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. बायजर्स की शिकायत किए जाने के बाद एपेक्स और सियाने टावर्स को गिराने का आदेश कोर्ट ने दिया है. इन टावर्स के गिरने की प्रक्रिया बहुत ज्यादा नुकासन पहुंचाने वाली है. टावर के गिरने से घरों को होने वाले नुकसान से लेकर विस्फोट से उड़ने वाली धूल तक हर कदम यहां रहने वालों के लिए खौफ में रहने जैसा है.
TimeLine: कैसे विवादों में घिरता गया ट्विन टावर?
साल 2004: नवंबर में नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन का वितरण किया गया था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को लगभग 84 वर्गमीटर की जमीन का वितरण किया था.
साल 2005: न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (NOIDA) को रोका गया साथ ही निर्देश दिए गए. 1986 के तहत योजना की मंजूरी मिली और कुल 14 टावरों और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण को मंजूरी दी गई थी. सुपरटेक लिमिटेड ने इसी साल नवंबर में एमराल्ड कोर्ट नाम से ग्रुप हाउसिंग सोसायिटी का बनाना शुरू हुआ.
साल 2006: सुपरटेक को उन्हीं शर्तों के जरिए अतिरिक्त जमीन का वितरण किया गया. दिसंबर 2006 में 11 फ्लोर के 15 टावरों में कुल 689 फ्लैट्स के निर्माण के लिए प्लान में बदलाव किया गया.
साल 2009: सुपरटेक ने नोएडा अथॉरिटी के साथ मिलकर ट्विन टावरर्स एपेक्स और सयाने का निर्माण शुरू किया.
इन दोनों टावर्स के निर्माण को लेकर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने विरोध किया. क्योंकि सोसाइटी के ठीक सामने नोएडा अथॉरिटी ने ग्रीन बेल्ट बताकर वहां यह विशालकाय टावर खड़े कर रहा था.
इन टावर्स के निर्माण के दौरान NBR 2006 और NBR 2010 का उल्लंघन किया जा रहा था. जिसके चलते इन बिल्डिंग्स के निर्माण के दौरान पास की अन्य ईमारतों के बीच उचित दूरी का ख्याल नहीं रखा जा रहा था.
NBC (National Building Code) 2005 का उल्लघंन करके इन दोनों टावर्स को बनाया गया था. NBC 2005 की मानें तो ऊंची बिल्डिंग के आसपास खुली जगह होनी चाहिए. साथ ही दो टावर्स के बीच 20 मीटर का स्पेस होना चाहिए, लेकिन इनके बीच 9 मीटर से कम का स्पेस था जोकि बहुत कम था.
इसके अलावा आपको बता दें कि ट्विन टावर का निर्माण यूपी अपार्टमेंट्स एक्ट का भी उल्लंघन है. साथ ही कंपनी ने जिस एरिया को सुपरटेक ने अपने ग्राहकों ग्रीन एरिया में दिखाया था. वहां दो बड़ा टावर खड़ा कर दिया गया.
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2009 से शुरू हुई मुश्किल
साल 2009: पूरा मामला कोर्ट पहुंचा. कंपनी द्वारा की गई धोखधड़ी के बाद एमराल्ड कोर्ट के रेजिडेंट्स ने कोर्ट में लड़ाई लड़ने का फैसला किया.
साल 2010: कंपनी के खिलाफ कोर्ट में दायर की गई याचिका में कोई एक्शन नहीं लिया गया.
साल 2012: ये पूरा मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा. करीब डेढ़ साल तक कोर्ट में केस चला.
साल 2014: अप्रैल ने इस चर्चित ट्विन टावर को ध्वस्त करने का फैसला सुना दिया. इसके साथ कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही.
इलाहाबाद कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
इलाहाबाद कोर्ट के फैसले बाद को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट में करीब 7 साल तक पूरा मामला चला.
2021 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने रेजिडेंट्स के पक्ष में फैसला सुनाया. जिससे सुपरटेक को बड़ा झटका लगा. कोर्ट ने 3 महीने में टावर को ध्वस्त करने का फैसला सुनाया, लेकिन कुछ वजहों से इसकी तारीख को तीन बार बदला गया.
इस पूरे मामले में खरीददारों का क्या होगा ?
कोर्ट ने अपने फैसले में खरीदारों का ध्यान रखा है. बिल्डर को 2 महीने में 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ टावर्स में खरीदे गए फ्लैट की कीमत भी वापस करने के निर्देश दिए. इतना ही नहीं बिल्डर को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ का भुगतान करने का भी निर्देश दिए गए थे.
टावर को ध्वस्त करने का काम हुआ पूरा
ट्विन टावर को गिराने का काम पूरा कर लिया गया है. इन बिल्डिंगों को गिरान के लिए बारूद का इस्तेमाल किया गया है. इस इमारत को गिराने का काम एडिफिस और साउथ अफ्रीका की जेट कंपनी कर रही है. इन टावरर्स को गिराने के लिए कुल 9640 होल किए गए हैं. जिसमें लगभग 3 हजार 700 किलो बारूद लगाया गया है. ब्लास्ट वाले दिन आसपास की सोसायटी में रहने वालों को सुबह तक सोसायटी खाली करने केआदेश जारी कर दिए गए हैं. ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण से पहले टावर के चारों ओर करीब 500 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को इलाके से बाहर भेज दिया जाएगा. इसके साथ टावर के गिराए जाने के बाद भी लोगों को बिना इजाजत अपार्टमेंट में नहीं जाने दिया जाएगा. टावरों को ढहाने के बाद सीबीआरआई की टीम आसपास के टावरों का टेस्ट करेगी. सबसे पहले लिफ्ट, फिर बिजली और पानी और गैस कनेक्शन की जांच की जाएगी. टावर के पिलर समेत अन्य जांच पूरी होने के बाद ही लोगों को जाने की इजाजत दी जाएगी.
नोएडा एक्सप्रेस-वे रहेगा बंद
-ट्विन टावर के आसपास के इलाके सुबह 7 से शाम 5 बजे तक बंद किया जाएगा.
- 2:15-2: 45 तक नोएडा एक्सप्रेसवे बंद रहेगा.
-महामाया फ्लाईओवर से रूट को डायवर्ट किया जाएगा
-आसपास की सड़कों को बंद किया जाएगा.
- जानवरों की एंट्री को रोकने के लिए भी खास इंतजाम किए गए है.