Non Binary Gender 2024: 16 फरवरी, 2024 राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने दिल्ली- NCR स्थित शिव नादर स्कूलों द्वारा लैगिंक पहचान से संबंधित प्रश्न में "नॉन-बाइनरी" (Non Binary Gender) शब्द के इस्तेमाल पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के शिक्षा विभागों को नोटिस जारी किया है. "नॉन बाइनरी" से आशय उस व्यक्ति से है, जिसकी पहचान किसी महिला या पुरुष के रूप में नहीं है. इसके जवाब में स्कूल ने कहा कि "फिलहाल, हमें ऐसे किसी नोटिस की जानकारी नहीं है, इसलिए हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते."


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हरियाणा के स्कूल शिक्षा निदेशालय के सचिव और दिल्ली- NCR स्थित शिव नादर स्कूलों के लिए उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव को जारी एक नोटिस में एनसीपीसीआर ने कहा कि उसे इन स्कूलों द्वारा बच्चों की लैंगिक पहचान के संबंध में अनुचित शब्दावली के इस्तेमाल के संबंध में शिकायत मिली है.


शिकायत के अनुसार, स्कूल में परिजनों के फीडबैक में बच्चों के जेंडर के बारे में एक सवाल किया गया था. विकल्पों में महिला, पुरुष और गैर-बाइनरी लिखा गया था. इसको लेकर, नोटिस में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि यह ध्यान दिया जाए कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 परिभाषित करता है और 'ट्रांसजेंडर' शब्द का उपयोग करता है. आयोग ने अपने बयान में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) ट्रांसजेंडर बच्चों, छात्रों को संदर्भित करती है और किसी अन्य शब्द का उपयोग नहीं करती है.


कैसा होता है "नॉन-बाइनरी" शख्स (Non Binary Gender)


अक्सर आपके आसपास के लोग आपको अलग-अलग शब्दों से संबोधित करते हैं. इन शब्दों को सुनने के बाद आपको अहसास होता है कि सामने वाला शख्स आपका और आपकी शरीर की बनावट का मजाक उड़ा रहा है, जिसे हम आज के समय में या फिर आम भाषा में बॉडी शेमिंग (Body Shaming) कहते हैं, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि किसी व्यक्ति को संबोधित करने के लिए भाषा में शब्द ही न होते? आज हम बाद कर रहे हैं "नॉन-बाइनरी" जेंडर (Non Binary Gender) की.


जानें, क्या है "नॉन-बाइनरी"


बता दें कि बाइनरी एक लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है दो (Two). दो तरह के जेंडर, मेल या फीमेल. लेकिन, जो व्यक्ति इन दोनों कैटिगरी में नहीं आता, उस शख्स को नॉन बाइनरी या फिर वो व्यक्ति जो पूरी तरह स्त्री है और न ही पूरी तरह से पुरुष होता है.


कब चलता है पता


देशभर में जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसके प्राइवेट पार्ट देखकर डॉक्टर बताता है कि वह मेल है या फिर फीमेल. मगर बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है तो उसके हावभाव (Gesture) बताते हैं. जैसेः बॉडी लैंग्वेज,  चलने का तरीका, बात करने का तरीक, रूचियां, कपड़े पहनने का तरीका, लड़कियों जैसा लगना. धीरे-धीरे उसमें स्त्रियों के गुण दिखने लगते हैं. बड़ा होकर वो खुद को फीमेल महसूस करते लगता है. यह लोग खुद को स्त्री के रूप में संबोधित करने लगते हैं. इसी को "नॉन बाइनरी" कहते हैं.