दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को जामा मस्जिद के निरीक्षण के लिए अतिरिक्त समय दिया है. यह निर्णय जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान लिया गया, जिसमें जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने की मांग की गई थी.
11 दिसंबर को दिए गए आदेश में पीठ ने स्पष्ट किया कि एएसआई को 23 अक्टूबर 2024 के आदेश के अनुसार निरीक्षण करना होगा. इसके साथ ही, सभी पक्षों को सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम एक हफ्ते पहले रिपोर्ट की अग्रिम प्रतियां प्रदान करनी होंगी. एएसआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सोनी ने कार्य पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया.
पीठ ने याचिकाकर्ता की तरफ से एक वकील को सर्वेक्षण के दौरान टीम के साथ जाने की अनुमति दी है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा. 23 अक्टूबर को पीठ ने एएसआई को वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों के साथ जामा मस्जिद का निरीक्षण करने का आदेश दिया था.
जामा मस्जिद का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है. याचिकाओं में एएसआई के दायरे में जामा मस्जिद के न आने पर सवाल उठाए गए थे. याचिकाकर्ताओं ने इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी द्वारा शाही इमाम उपाधि के उपयोग पर भी आपत्ति जताई थी.
2015 में एएसआई ने सूचित किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शाही इमाम को आश्वासन दिया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया जाएगा. हाल ही में एएसआई ने कहा कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने से इसके आसपास के क्षेत्र में नियम लागू होंगे.
वर्तमान में, जामा मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड के संरक्षण में है, जबकि एएसआई इसके संरक्षण का कार्य कर रहा है. इस निर्णय से जामा मस्जिद के संरक्षण और उसकी ऐतिहासिकता को बनाए रखने में मदद मिलेगी.