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Chanakya Niti: ऐसे दोस्त आपकी जीवन कर देंगे बर्बाद! चाणक्य नीति से यूं करें इनकी पहचान

Chanakaya Niti: चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, उनकी बताई हुई बातें आज के समय में भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. आचार्य चाणक्य की नीतियों में जीवन के हर पहलू के बारे में कुछ न कुछ दिया हुआ रहता है. शिक्षा से लेकर दुश्मन तक जीवन की बड़ी से बड़ी समस्याओं के लिए कुछ न कुछ चीजें होती हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, आचार्य चाणक्य की बताई हुई कुछ नीतियों के बारे में.

 

|अति सर्वत्र वर्जयेत्|

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|अति सर्वत्र वर्जयेत्|

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अधिकता हर चीज में हानिकारक होती है, चाहे वह धन, भोजन, या कुछ और हो. अगर मनुष्य किसी भी चीज को हद से ज्यादा करेगा तो उसे नुकसान ही पहुंचाएगा.

|विद्या मित्रं प्रवासेषु|

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|विद्या मित्रं प्रवासेषु|

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि परदेश में शिक्षा ही सबसे बड़ी मित्र होती है. शिक्षा सबसे बड़ी हथियार है, जिससे इंसान किसी भी युद्ध को जीत सकता है. शिक्षित व्यक्ति हर जगह ही पूजा जाता है.

 

|आत्मानं सततं रक्षेत्|

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|आत्मानं सततं रक्षेत्|

चाणक्य नीति के अनुसार किसी भी व्यक्ति को हमेशा ही अपने आत्म-संरक्षण की चिंता करनी चाहिए. चाहे कोई भी परिस्थिति हो, हर जगह पर व्यक्ति को अपनी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए.

|कान्तारं पतितं मित्रं|

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|कान्तारं पतितं मित्रं|

चाण्क्य नीति के अनुसार इंसान का सबसे पहला कार्य होता है कि अगर उसका कोई मित्र संकट में है तो वो उसका जल्द से जल्द सहायता करे. एक मित्र का यही धर्म होना चाहिए.  

|प्राज्ञो मित्रेण सम्प्रयोज्यते|

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|प्राज्ञो मित्रेण सम्प्रयोज्यते|

आचार्य चाण्क्य के अनुसार एक बुद्धिमान व्यक्ति को सदा विद्वानों के संगत में रहना चाहिए या फिर बुद्धिमान मित्रों का संग करना चाहिए. इससे बुद्धि में विकास होता है.

 

|नास्ति विद्या समं चक्षुः|

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|नास्ति विद्या समं चक्षुः|

आचार्य चाणक्य के अनुसार विद्या से बढ़कर कुछ भी नहीं होता है. विद्या इंसान को कई सारी चीजें दे सकती है, जो कोई और कभी उसको प्रदान नहीं कर सकता है. इसलिए विद्या का हमेशा सम्मान करना चाहिए.

ऐसे दोस्त से रहें दूर

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ऐसे दोस्त से रहें दूर

दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः। ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः ।। चाणक्य के अनुसार दुष्ट स्वभाव वाली, कठोर वचन बोलने वाली, दुराचारिणी स्त्री और धूर्त, दुष्ट स्वभाव वाला मित्र, सामने बोलने वाला मुंहफट नौकर और ऐसे घर में निवास जहां सांप के होने की संभावना हो, ये सब बातें मृत्यु के समान हैं. आचार्य चाणक्य कहते हैं जिस दुष्ट स्वभाव वाला मित्र विश्वास के योग्य नहीं होता! वो कभी भी इंसान को धोखा दे सकता है. ऐसे में अगर आपको किसी से भी दोस्ती करनी है तो सबसे पहले उसे अच्छे से जान परख लें.

 

कृपया ध्यान दें

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कृपया ध्यान दें

कृपया ध्यान दें, ये खबर इंटरनेट मीडिया पर आधारित है. Zee Media किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी क्षेत्र में अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.