सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नोएडा प्राधिकरण की आलोचना की है, जिसमें कहा गया है कि एनटीबीसीएल के साथ समझौते में टोल कलेक्शन के लिए कोई निर्धारित समय सीमा नहीं थी. इससे कंपनी को यात्रियों से लगातार टोल टैक्स लेने की अनुमति मिली, जो अनुचित है.
जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि नोएडा प्राधिकरण ने एनटीबीसीएल को टैक्स लगाने और वसूलने के लिए शक्तियां सौंपकर अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है. इस व्यवस्था के कारण आम जनता पर अनुचित बोझ पड़ा है, जिससे यात्रियों को कई सौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
सुप्रीम कोर्ट ने फेडरेशन ऑफ नोएडा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका को भी जायज ठहराया. इस याचिका में एनटीबीसीएल द्वारा यूजर्स टैक्स के नाम पर टोल लगाने और कलेक्शन को चुनौती दी गई थी. बेंच ने कहा कि यह याचिका कानूनी रूप से सही थी और हाईकोर्ट का निर्णय उचित था.
सुप्रीम कोर्ट ने कैग की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि एनटीबीसीएल ने टोल कलेक्शन के माध्यम से पर्याप्त लाभ प्राप्त किया है, जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि आगे टोल वसूली अनुचित थी.
डीएनडी फ्लाईवे का उपयोग करने वाले यात्रियों से पहले हर ट्रिप के लिए 28 रुपये का टैक्स लिया जाता था. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हजारों दैनिक यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद है. इस निर्णय से यात्रियों को आर्थिक रूप से बड़ा लाभ होगा.