यूं तो मुगल कई शादी करने के लिए मशहूर थे, लेकिन जब बेटियों की शादी की बारी आती थी तो वो कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे. आखिर किस वजह से मुगल बेटियों की शादी रिश्तेदारों से करवाते थे? ऐसा कौन सा डर था जो मुगलों को हमेशा सताता था?
मुगल इतिहास में कई बादशाह ऐसे भी हुए जिनकी बेटी ताउम्र कुंवारी रह गईं. शाहजहां की बेटी जहांआरा भी उन्हें शहजादियों में से एक थी. जहांआरा के जीवन का एक दिलचस्प किस्सा 17वीं शताब्दी में भारत में रहते हुए फ्रेंकोइस बर्नियर ने दर्ज किया. 1658 में भारत पहुंचे फ्रेंकोइस बर्नियर एक फ्रांसीसी चिकित्सक होने के साथ एक राजनीतिक दार्शनिक और इतिहासकार भी थे.
मुगल दरबार में चिकित्सक बनने के बाद उनकी पहचान बनी. धीरे-धीरे वह मुगलों के करीब पहुंच गए. वह लिखते हैं कि बादशाह शाहजहां अपनी बेटी जहांआरा से बहुत स्नेह रखते थे. शाहजहां को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं थी कि उनकी बेटी के आसपास कोई मर्द पहुंचे. यही वजह थी कि शहजादी की सुरक्षा का खास ख्याल रखा जाता था.
तमाम पहरे के बावजूद जहांआरा का एक आशिक उनसे मिलने पहुंच गया. बादशाह के करीबियों ने यह जानकारी उन तक पहुंचा दी और वो आगबबूला हो उठे. उन्होंने उस आशिक को पकड़ने का आदेश दिया. इससे पहले की बादशाह के सिपाही उस शख्स तक पहुंच पाते, जहांआरा को इस बात की जानकारी मिल गई कि पूरे महल में इसकी चर्चा शुरू हो गई है.
जहांआरा ने उसे बचाने के लिए उसे पानी की देग में छिपा दिया. तमाम कोशिशों के बाद भी जब जहांआरा का आशिक न मिला तो बादशाह खुद शहजादी के कमरे में पहुंचे और उन्हें शक हो गया कि वो पानी की देग में छिपा हुआ है. बादशाह ने उसी समय देग के पानी को उबालने का हुक्म दे दिया और वो हमेशा के लिए उसी में रह गया. एक अन्य शख्स ने जहांआरा से शादी करने की कोशिश की तो उसे इस गुस्ताखी के लिए जहर देकर मार दिया गया. यही वजह रही कि जहांआरा ताउम्र कुंवारी रह गईं.
मुगलों को हमेशा यह डर सताता था कि कहीं बेटी का शौहर उनकी सत्ता पर कब्जा न कर ले. यही वजह रही है कि मुगलों में बेटियों को रिश्तेदारों के साथ निकाह कर दिया जाता था. इसकी शुरुआत बादशाह अकबर ने की थी. उनका कहना था कि सत्ता हमेशा किसी मुगल के हाथों में ही होनी चाहिए. बेटी का शौहर इसे हथिया न ले, इसलिए मुगल इस नियम का सख्ती से पालन करते थे.