सर्वे में दो मेट्रो रूट पर ध्यान दिया जाएगा. राइडरशिप का विश्लेषण किया जाएगा ताकि यह तय किया जा सके कि एम्स को किस मेट्रो मार्ग से जोड़ा जाए. सर्वे के बाद, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. यह कदम मरीजों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण है, जो रोजाना एम्स जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
गुरुग्राम से झज्जर के बीच सड़क मार्ग की स्थिति काफी खराब है. द्वारका एक्सप्रेसवे के पास यह मार्ग संकरा हो गया है, जिससे सुबह और शाम के समय ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न होती है. पीडब्ल्यूडी बीएंडआर ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए एक नया रोड बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन किसानों द्वारा अधिक कीमत मांगने के कारण यह परियोजना अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है.
गुरुग्राम से झज्जर एम्स तक पहुंचने वाले मरीजों को परिवहन की भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है. राजस्थान या मध्य प्रदेश से आने वाले मरीजों को बस और ऑटो में सफर करना पड़ता है. हरियाणा रोडवेज और सिटी बस सेवा की कमी के कारण मरीजों को काफी कठिनाई होती है.
एम्स में हर दिन लगभग 1000 मरीज पहुंचते हैं, जिनमें से 400 नए मरीज होते हैं. दिल्ली से बाड़सा तक बस सेवा उपलब्ध है, लेकिन अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों के लिए यह सेवा नदारद है. ऐसे में मेट्रो का विस्तार न केवल मरीजों के लिए सहूलियत प्रदान करेगा, बल्कि ट्रैफिक की समस्या को भी कम करेगा.
सूत्रों के अनुसार, सर्वे रिपोर्ट जनवरी के अंत तक एचएमआरटीसी के पास पहुंच जाएगी. द्वारका एक्सप्रेसवे पर सेक्टर-101 से एम्स, झज्जर की दूरी करीब 14 किलोमीटर है, जबकि दिल्ली के ढांसा मेट्रो स्टेशन से यह दूरी लगभग 20 किलोमीटर है. मेट्रो के विस्तार से मरीजों को बेहतर परिवहन सुविधा मिलेगी और यात्रा की कठिनाइयों में कमी आएगी.