यहां विभिन्न अंतरराष्ट्रीय देशों के विभिन्न विभिन्न कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं मेले में लगाए गए स्टॉल के द्वारा अपनी बनाई हुई कलाकृतियों का प्रदर्शन करते हुए अपने द्वारा बनाए गए सामानों को बेचते हुए भी नजर आ रहे हैं.
बेलारूस से आए शिल्पकारों के भाषा अनुवादक डॉक्टर मधु ने बताया कि इस बार वह मेले में हाथ से निर्मित गेहूं के बालियों से बने हुए खिलौने, ज्वेलरी तथा गारमेंट, मुकट लेकर आई है, जिसकी खूब मांग यहां हो रही है.
काफी मेहनत का काम होता है इन खिलौनों को बनाना. यह काफी बारीकी वाला काम होता है. कपड़े की बेल्ट भी बेचने के लिए यहां पर लगाई गई है, जिसकी खूब मांग हो रही है.
डॉ. मधु ने ये शिल्पकार पहले भी इस मेले में आ चुकी हैं और यहां आकर उन्हें बहुत अच्छा लगता है. उन्होंने बताया कि उनकी स्टॉल पर 200 रुपये से लेकर हजार रुपये तक की आइटम मौजूद है. मेला दर्शक यहां अच्छी खरीदारी कर रहे हैं.
मेले में आए विदेशी कलाकार, शिल्पकार का सहयोग कर रही भाषा अनुवादक डॉ. मधु बताती है कि यहां शिल्पकारों को भाषा के कारण ग्राहकों को अपनी बात समझने में काफी समस्या हो रही है. सूरजकुंड मेले में विदेशियों के लिए भाषा की समस्या ज्यादा हो रही है, जिसके कारण वह अपनी बात को यहां आ रहे पर्यटन को तक नहीं रख पा रहे हैं. सूरजकुंड प्रबंधक को इस विषय पर जरूर संज्ञान लेना चाहिए.