INS Vikrant से कितना अलग है IAC Vikrant, जानें खास बातें
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1331907

INS Vikrant से कितना अलग है IAC Vikrant, जानें खास बातें

भारतीय नौसेना के लिए आज बहुत ही अहम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (INS Vikkrant) नेवी को सौंपा दिया है. इस मौके पर PM मोदी ने नेवी के नए नौसेना ध्वज का भी अनावरण किया है. यह एयरक्राफ्ट जिसे ब्रिटेन से मंगवाया गया.

INS Vikrant से कितना अलग है IAC Vikrant, जानें खास बातें

भारतीय नौसेना के लिए आज बहुत ही अहम है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (INS Vikkrant) नेवी को सौंपा दिया है. इस मौके पर PM मोदी ने नेवी के नए नौसेना ध्वज का भी अनावरण किया है. यह एयरक्राफ्ट जिसे ब्रिटेन से मंगवाया गया. इस एयरक्राफ्ट कैरियर ने 36 साल देख का सेवा की. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाई थीं. INS Vikrant बना IAC Vikrant जो कि आधुनिक, ताकतवर, क्षमतावर और घातक है. 

INS Vikrant और IAC Vikrant की समानताएं

-INS Vikrant 1961 में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ था. जिसका मोटो है 'जयेम सं युधिस्पृध' यानी जो मुझसे युद्ध करेगा, उसे मैं पूरी तरह से पराजित कर दूंगा था. IAC Vikrant का मोटो भी यही है. यब ऋग्वेद से लिए गए मंत्र का हिस्सा है. जो इंद्र देवता को संबोधित करते हुए कहा गया है. 
-पुराने विक्रांत यानी INS Vikrant का पेनेंट नंबर R11 था और आज भी विक्रांत का नेमसेक नंबर R11 है. सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों का नाम विक्रांत है. यानी जिसे कोई युद्ध में हरा न सके. यह शब्द संस्कृत का होता है जिसका मतलब बहादुर होता है.  INS Vikrant को 36 साल सर्विस देने के बाद 15 साल तक मुंबई के म्यूजियम में तैनात किया गया था. इसके बाद साल 2004 में उसे कबाड़ कर दिया गया. 

ये भी पढ़ेदेश को मिला पहना स्वदेशी विमानवाहक पोत INS Vikranat, थर-थर कांपेगा चीन पाकिस्तान

INS से दोगुना बड़ा IAC Vikrant

-पुराना INS Vikrant का डिस्पेसमेंट 16 हजार टन था और यह सिर्फ 700 फीट लंबा था. इसी बीम 128 फीच की थी. जबकि ड्रॉट 24 फीट. लेकिन,  IAC Vikrant की बात करें तो इसका डिस्पेसमेंट 45 हजार टन है. 862 फीट लंबा, बीम 203 फीट और ड्रॉट  28 फीट है. इसकी ऊंचाई 198 फीट है. 
-INS Vikrant की रफ्तार 46 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. जबकि  IAC Vikrant 56 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकता है. 
-INS Vikrant का इंजन उसे 40 हजार हॉर्सवॉवर की ताकत देता था. जबकि IAC Vikrant का इंजन उसे 1.10 लाख हॉर्सवॉवर की ताकत देता है. 
- पुराने विक्रांत पर कुलि 1,110 ऑफिसर रह सकते थे लेकिन नए विक्रांत पर 1700 नेवी ऑफिसर्स या कर्मचारी रह सकते हैं. 
-पुराने विक्रांत में अस्पताल नहीं था. नए विक्रांत में जांच लैब के साथ 16 बेड का मीनी अस्पताल भी है. 
-पुराने विक्रांत के किचेन में नौसैनिक खुद खाना बनाते थे. लेकिन नए विक्रांत में  अत्याधुनिक तकनीकियों से कीचेन लैस है. जिसमे 500 थालियों का खाना एक साथ बनाया जा सकता है. 

विक्रांतों में लगे हथियारों में अंतर 

-INS Vikrant में पहले 40 मिमी का 16 बोफोर्स एंटी- एयरक्राफ्ट गन लगी थीं. जिसे बाद में घटाकर 8 कर दिया गया था. इसके अलावा इसपर हॉकर सी हॉकर (Hawker Sea Hawker),सी हैरियर (STOVL)फायर जेट तैनात है. ब्रेग्ट एलीज बीआर 1050 एंटी-सबमरीन एयरक्राफ्ट भी तैनात था. पुराने एयरक्राफ्ट करियर पर लगभग 23 विमान और हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते थे.  
-IAC Vikrant पर MiG-29K लड़ाकू विमान और 10 Kmaov हेलिप्टर के दो स्क्वॉड्रन तैनात हो सकते है. अमेरिका ये लाया MH-60R Romeo हेलिकॉप्टर भी तैनात किया जाएगा. कुल मिलाकर इसपर 30 से 35 एयरक्राफ्ट तैनात किए जा सकते हैं. 

ये भी पढ़े: Shrikant Tyagi Case में बेल पर फैसला आज, इस मामले में SP बना रही BJP को घेरने का प्लान

INS Vikrant और IAC Vikarant की रेंज 

-INS Vikrant को अगर 26 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाए तो वह कुल 22 किमी तक जा सकता था. रफ्तार को 43 किमी प्रतिघंटा करन पर लगभग 11,500 किमी का रेंज मिलती थी. वहीं IAC Vikrant 56 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से 15 हजार किमी तक जा सकता है.
-IAC Vikrant पर फाइटर जेट को उड़ाने के लिए कैटापॉल्ट असिस्टेड टेक-ऑफ (CATO)की व्यवस्था की गई थी. जिसको बदल कर 9.75 डिग्री स्की जंप कर दी गई. IAC Vikrant में स्टोबार (STOBAR) लॉन्च सिस्टम है. इसके साथ स्की जंप भी है. 

IAC Vikrant के निर्माण में लगी 500 कंपनियां 

विक्रांत का डिजाइन और निर्माण दोनों देशों ने किया है. इसे ऑटोमेटेड मशीनों, ऑपरेशन, शिप नेविगेशन और बचाल प्रणाली से लैस किया गया है. इस बनाने के लिए कोचिन शिपयार्ड के साथ भारत की 550 कंपनियों ने मदद की है. साथ ही 100 MSME कंपनियां भी शामिल है. इसके अलग-अलग हिस्सों को अलग-अलग कंपनियों ने बनाया है. 

Trending news