भीड़ में उपद्रवियों के कपड़े से छिपे चेहरे को भी पहचान लेंगी सुरक्षा एजेंसियां, गजब की है तकनीक
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने उपद्रवियों पर लगाम कसने के लिए एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है, जिसमें मास्क पहने हुए शख्स की आसानी से पहचान की जा सकेगी. इतना ही नहीं भारत आत्मनिर्भरता की नीति के अपनाते हुए काफी आगे बढ़ रहा है.
राजू राज/नई दिल्ली: भारत पर लगातार आतंकवादियों की नजर रहती है. आतंकवादी नए-नए तरीके से भारत में अशांति फैलाने की फिराक में रहते हैं, लेकिन इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत की सुरक्षा एजेंसियां भी पूरी तरीके से तैयार रहती है. अपनी सुरक्षा एजेंसियों को तकनीकी रूप से मजबूत करने के लिए भी सरकारी तंत्र लगातार काम करते रहते हैं, लेकिन अब खास बात यह है कि भारतीय रक्षा बल तकनीकी रूप से मजबूत करने के लिए मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं. जो काफी आकर्षक और कारगर है. ऐसे ही तकनीकी और हत्यारों की प्रदर्शनी पुलिस एक्सपो दिल्ली के प्रगति मैदान में लगाई गई है.
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सबसे पहले आपको फोर्टीफाई सॉफ्टवेयर की खासियत बताते हैं. यह अपने आप में एक FRS (Advance Face Recognize Software) है. जिसकी मदद से मास्क पहने हुए शख्स की पहचान भी उजागर हो सकेगी. दंगों की स्थिति में सॉफ्टवेयर काफी कारगर साबित होगा, क्योंकि चेहरे पर कपड़ा बांधकर पुलिस फोर्स के ऊपर पत्थर फेंकने का चलन इन दिनों चल रहा है. ऐसी स्थिति में सॉफ्टवेयर की मदद से नकाब पहने लोगों की शक्ल साफ देखी जा सकेगी. इसको अमेट्रोन नाम की कंपनी ने असम सरकार की मदद से बनाया है.
भारतीय नेताओं और VIP लोगों के परिधान में नेहरू जैकेट का काफी चलन है. इस एक्सपो में ऐसी नेहरू जैकेट दिखाई गई हैं, जो बुलेट प्रूफ है. इसमें क्लोज टारगेट को रोकने की पूरी क्षमता है. ये एक बुलेट रेसिस्टेंट वेस्ट कोर्ट (नेहरू जैकेट) है. जो 9 एमएम से 19 एमएम तक कि गोली को रोकने में सक्षम है. इससे कई वीवीआइपी और आम लोग जो आजकल नेहरू जैकेट को पहनते हैं. अब वो भी खतरे से महफूज रह सकते हैं. इसका वजन महज ढाई किलो है.
भारत अपनी सुरक्षा के लिए विदेशों पर काफी निर्भर है. भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों में अधिकतर हथियार विदेशी निर्मिती होते हैं, लेकिन अब मेक इन इंडिया के तहत भारत की हथियारों पर आत्मनिर्भरता काफी बढ़ती जा रही है. इसके तहत भारत में कई अत्याधुनिक हथियार बनाए जा रहे हैं. जो जल्द ही सुरक्षाबलों के हाथ में होंगे. ऐसे ही Sub machine gun "ASMI" को इंडियन आर्मी एआरडीई हैदराबाद की लोकेश मशीन लिमिटेड ने मिलकर बनाया है. यह गन 300 मीटर मारक क्षमता की है. पुलिस बल के हाथों में अक्सर ऐसी क्लोज बैटल गनें दी जाती हैं. उनका यह विकल्प हो सकती हैं. अभी देश के तमाम पुलिस बल mp9 और MP5 गन का इस्तेमाल करते हैं जो बेल्जियम की बनी हुई है अगर अब इस ASMI को सरकार की हरी झंडी मिल जाती है तो तो यह विभिन्न विशेषताओं वाली ये गन बेहद जल्द सुरक्षा बलों के हाथों में होगी। अभी इस गन MHA के ट्रायल को पूरा किया है।
ऐसे ही भारत मे निर्मित LMG भी बहुत जल्द भारतीय जवानों के हाथों में देखने को मिलेगी. इसको भी मेक इन इंडिया के तहत कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में तैयार किया गया है. इसमें लगे पाऊच में करीब 50 राउंड एक साथ रखे जा सकते है. इससे एक बार में करीब 800 राउंड फायरिंग की जा सकती है.
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