Sonam Wangchuk Detained: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस द्वारा जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों को सिंधू बॉर्डर पर हिरासत में लिए जाने की आलोचना की और इसे अस्वीकार्य बताया.


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राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से मार्च कर रहे सोनम वांगचुक जी और सैकड़ों लद्दाखियों को हिरासत में लेना अस्वीकार्य है. उन्होंने हिरासत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया.



दिल्ली सीमाओं पर बीएमएस की घारा 163 लगा दी गई 
उन्होंने कहा कि लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने के लिए दिल्ली की सीमा पर बुजुर्गों को क्यों हिरासत में लिया जा रहा है ?  राहुल ने कहा कि मोदी जी किसानों की तरह यह चक्रव्यू भी टूटेगा और आपका अहंकार भी टूटेगा. आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी. वांगचुक और उनके समर्थकों को दिल्ली पुलिस ने सोमवार देर रात हिरासत में लिया. दिल्ली पुलिस ने घोषणा की कि दिल्ली की सीमाओं पर बीएनएस की धारा 163 लगा दी गई है. 


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लेह ने नई दिल्ली तक शुरू किया था पैदल मार्च
वांगचुक और अन्य स्वयंसेवकों ने केंद्र सरकार से उनकी मांगों के संबंध में लद्दाख के नेतृत्व के साथ बातचीत फिरसे शुरू करने का आग्रह करने के लिए उन्होंने लेह से नई दिल्ली तक पैदल मार्च शुरू किया. उनकी प्रमुख मांगों में से एक मांग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना है, जो स्थानीय लोगें को उनकी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कानून बनाने की शक्ति को प्रदान करेगा.


इसलिए शुरू किया पैदाल मार्च
यह मार्च 1 सितंबर को लेह में शुरू हुआ. इससे पहले 14 सितंबर को हिमाचल प्रदेश पहुंचने पर वांगचुक ने अपने मिशन के उद्देश्य पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि हम सरकार को पांच साल पहले किए गए वादे की याद दिलाने के मिशन पर हैं. वांगचुक ने राज्य का दर्जा, भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत समावेशन (जो आदिवासी समुदायों को विशेष अधिकार प्रदान करता है) और लद्दाख के लिए मजबूत पारिस्थितिक सुरक्षा की वकालत की है. इससे पहले, सोनम वांगचुक ने लद्दाख की नाजुक पहाड़ी पारिस्थितिकी और स्वदेशी लोगों की सुरक्षा के महत्व पर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए लेह में नौ दिनों का उपवास पूरा किया. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया.


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