Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आने वाले लोगों की जरूरतों और इमरजेंसी के हालात से निपटने के लिए लता मंगेशकर चौक और टेंट सिटी में दो हॉस्पिटल स्थापित किए जा रहे हैं.
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Aarogya Maitri Cube: जरा सोचकर देखिए एक अस्पताल को बनने में कितना वक्त लगता होगा? आपका जवाब हो सकता है एक महीने, 6 महीने या शायद 1 साल.... लेकिन आपदा के वक्त घायलों या बीमार व्यक्तियों को जल्द से जल्द इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार ने HLL Lifecare के साथ मिलकर दुनिया का सबसे छोटा अस्पताल तैयार किया है जो जरूरत पड़ने पर कहीं भी कुछ ही मिनटों में तैयार किया जा सकता है और जरूरतमंदों को मेडिकल सुविधा दे सकता है.
इसका कुल वजन करीब 720 किलो है. इमरजेंसी में इसे कहीं भी एयर लिफ्ट करके पहुंचाया जा सकता है. ख़ास बात ये है कि इस अस्पताल को अगर आसमान से जमीन पर या फिर पानी में भी फेंका जाए तो ये खराब नहीं होगा. अब आप सोच रहे होंगे कि ये क्या मजाक है?
एक बार में 200 मरीजों का इलाज
लेकिन ये मजाक नहीं बल्कि सच है.. दरअसल भारत ने दुनिया का सबसे छोटा अस्पताल तैयार किया है, जो एक बार में करीब 200 मरीजों का इलाज कर सकता है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को देखते हुए ऐसे दो portable hospital अयोध्या ले जाए गए हैं. इनमें से एक लता मंगेशकर चौक और दूसरा टेंट सिटी के पास बनाया गया है. हर पोर्टेबल अस्पताल में एयरफोर्स का एक डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ समेत 6 कर्मचारी तैनात रहेंगे.
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रिबिक्स क्यूब को जोड़कर बनेगा अस्पताल
इस अस्पताल को आरोग्य मैत्री क्यूब नाम दिया गया है. जो पूरी तरह स्वदेशी है. अब जान लेते हैं कि आखिर ये बना किस चीज से हैं. हॉस्पिटल को तैयार करने में लोहे के तीन फ्रेम होंगे, जिनमें 12 अलग-अलग रिबिक्स क्यूब आकार के बॉक्स और 36 खाने होंगे. हर बॉक्स पर एक क्यूआर कोड है, जिसे स्कैन करते ही ये पता किया जा सकता है कि किस बॉक्स में दवाएं हैं और उनकी एक्सपायरी डेट क्या है.
भीष्म ऐप की मदद से करेगा काम
बॉक्स के अंदर क्या है, इसकी जानकारी भीष्म ऐप पर मौजूद रहेगी, जिसके लिए स्टाफ को दो मोबाइल फोन दिए जाएंगे। ये फोन ऑफलाइन सिस्टम में काम भी कर सकते हैं यानी इंटरनेट के बिना ऐप का यूज कर सकते हैं. इस अस्पताल को तीन हिस्सों में बांटा गया है
1. मेडिकल सप्लाई : इसमें दवाओं और टेस्ट से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक की सुविधा रहेगी.
2. सर्वाइवल सप्लाई :इसमें अस्पताल में तैनात डॉक्टर के रहने, खाने और सर्वाइव करने की व्यवस्था जैसे कुकिंग का सामान, कंबल और खाने पीने का सामान वगैरह शामिल है.
3. नॉन मेडिकल सप्लाई: इसके तहत जेनरेटर, सोलर पैनल की व्यवस्था रहेगी.
अस्पताल की खासियत
1. इमरजेंसी जैसे आग लगने, बाढ़, भूकंप के समय पीड़ितों के लिए ये अस्पताल संजीवनी है.
2. इस अस्पताल में आईसीयू, ऑपरेशन थिएटर, बेड्स, दवाएं और खाने का सामान भी मौजूद रहेगा.
3. एक अस्पताल 200 लोगों का इलाज कर सकता है और 100 मरीजों को 48 घंटे तक बेड पर रखा जा सकता है.
4. इस अस्पताल को पूरी तरह सोलर एनर्जी और बैटरीज की मदद से चलाया जा सकता है.
5.टेस्ट करने की लैब, वेंटिलेटर, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड मशीन जैसे उपकरण से लैस होगा.
6. फ्रैक्चर हो, हेड इंजरी, ब्लीडिंग या फिर सांस की समस्या हो. एंटीबायोटिक से लेकर पेनकिलर दवाएं मौजूद रहेंगी.
7. इसे कहीं भी एयरलिफ्ट करके ले जाया जा सकता है.