नई दिल्ली: Navratra/Ramlila: हर साल की तरह त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है. इन दिनों त्योहारों की धूम पूरे देशभर में देखने को मिलती है. इसी के साथ  26 सितंबर से नवरात्र शुरू होने जा रहा हैं और साथ ही देशभर में रामलीलाओं का मंचन भी शुरू होने जा रहा है. आपने दिल्ली के लालकिला और अयोध्‍या में होने वाली रामलीला के बारे में काफी सुना होगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लेकिन, देश में पहली बार एक ऐसी रामलीला होने जा रही है, जिसमें पुरुषों की जगह महिलाएं हिस्सा लेने वाली है और इसे संचालित भी महिलाएं करेंगी. रामलीला में रावण, हनुमान, कुंभकर्ण जैसे किरदारों का नाम आते ही दिमाग में विशालकाय और भारी आवाज वाले पुरुषों का चेहरा सामने आता है. मगर दर्शक पहली बार इस रामलीला में रावण के किरदार में ढलती, कुंभकर्ण के रूप में युद्ध करती महिलाओं को रामलीला के मंच पर भूमिका निभाते देखेंगे.


ये भी पढ़ेंः नवरात्र से पहले Abhilipsa Panda नया गाना होगा रिलीज, इससे पहले 'हर हर शंभू' मचा चुका है धूम


बता दें कि ये रामलीला पंजाब के जीरकपुर के पीरमुछल्‍ला ढकोली में आयोजित होने जा रही है. इसी के साथ रामलीला का मंच काफी होने वाला है. इस दौरान लाइट और साउंट का भी काफी ध्यान रखा जाएगा. इस रामलीला में सभी पुरुष किरदार सिर्फ महिलाएं ही निभाएंगी. रामलीला 26 सितंबर से 5 अक्‍टूबर तक रात को 8 बजे से रात 11 बजे तक आयोजित की जाएगी.


13 से 77 साल की महिलाएं लेंगी हिस्सा


बताते चले कि इस रामलीला में 13 साल की लड़कियों से लेकर 77 साल की बुजुर्ग महिलाएं हिस्सा लेनी वाली हैं. इस रामलीला की निर्देशित समाज सेविका एकता नागपाल ने एक मीडियो को जानकारी देते हुए बताया कि यह देश में होने जा रही महिलाओं की पहली रामलीला है जिसमें संचालन से लेकर अभिनय तक महिलाएं करेंगी.


उन्होंने बताया कि जो भी महिलाएं और लड़कियां इस रामलीला में भाग ले रही हैं सभी पढ़ी लिखी और कामकाजी हैं. सीता बनने जा रहीं माधवी बीटेक की छात्रा हैं. राम की भूमिका निभा रहीं प्रतिभा पेशे से बैंकर हैं. जबकि रावण बनने वाली रेनू सोशल एक्टिविस्‍ट हैं. इसके अलाव जो भी छात्राएं हैं सभी स्‍कूल और कॉलेजों में पढ़ाई कर रही हैं.


एकता ने आगे बताया कि रामलीला में 10 दिन का बजट 22 लाख रुपये है.आसपास की सभी आरडब्‍ल्‍यूए इसमें मदद कर रही हैं. खास बात तो ये है कि इसकी तैयारी 20 दिन पहले ही शुरू की गई है जबकि लोगों को किरदारों की रिहर्सल के लिए महीनों लग जाते हैं. यह रामलीला महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा हस्‍ताक्षर होगी.