बागी और स्वतंत्र उम्मीदवार बड़ी पार्टियों की बने परेशानी, 60 वार्ड्स में कर सकते हैं खेला
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बागी और स्वतंत्र उम्मीदवार बड़ी पार्टियों की बने परेशानी, 60 वार्ड्स में कर सकते हैं खेला

दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election 2022) को लेकर बागियों के हौसले भी बुलंद हैं. बड़ी पार्टियों से चेहरा नहीं बन पाए तो खुद ही आजाद उम्मीदवार बन पर्चा दाखिल कर दिया. खुद प्रचार किया, जनता के बीच गए और बड़ी पार्टियों के लिए परेशानी भी खड़ी कर सकते हैं.

बागी और स्वतंत्र उम्मीदवार बड़ी पार्टियों की बने परेशानी, 60 वार्ड्स में कर सकते हैं खेला

नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election 2022) को लेकर बागियों के हौसले भी बुलंद हैं. बड़ी पार्टियों से चेहरा नहीं बन पाए तो खुद ही आजाद उम्मीदवार बन पर्चा दाखिल कर दिया. खुद प्रचार किया, जनता के बीच गए और बड़ी पार्टियों के लिए परेशानी भी खड़ी कर सकते हैं. हालांकि दिल्ली के एमसीडी चुनावो में यूं तो 2017 के मुकाबले स्वतंत्र उम्मीदवारों की संख्या कम है. लेकिन कई वार्ड्स पर बड़ी पार्टियों से टिकट न मिलने के कारण बागियों का झंडा बुलंद हो रहा है. 60 वार्ड्स में बागी बिगाड़ सकते हैं बड़ी पार्टियों का खेल.

इस बागी ने कर दिया बीजेपी के नाक में दम

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मोती नगर के रमेश पार्क वार्ड-91 (Ramesh Park Ward 91) इसी चुनौती का बड़ा उदाहरण है. इस वार्ड पर बीजेपी से नाराज़ बागी हुए उम्मीदवार राजकुमार खुराना का धुआंधार प्रचार न सिर्फ बीजेपी के लिए बल्कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार के लिए चिंता का विषय बन गया है. स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी ताल ठोक रहे खुराना का चुनाव चिन्ह बांसुरी है. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राजकुमार खुराना ने बड़ी जनसंपर्क यात्रा निकाली और इलाके में बांसुरी बजाकर प्रचार किया खुराना एकीकृत एमसीडी में साल 2007 में बीजेपी के पार्षद रह चुके हैं. वे बीजेपी के करोल बाग जिला के उपाध्यक्ष भी रहे हैं, लेकिन 2017 में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया. इस बार भी बीजेपी ने वार्ड नंबर 91 रमेश पार्क से सीएम केजरीवाल के घर हमला करने वाले प्रदीप तिवारी को टिकट दे दिया. यही वजह थी कि खुराना को बागी रुख अख्तियार करना पड़ा. 

विकास के नाम पर क्या जनता लगाएगी मुहर?

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आम आदमी पार्टी में भी नाराज़ बागी उम्मीदवार कम नहीं है. रिठाला विधानसभा से बुध विहार वार्ड नंबर 25 (Budh Vishar ward 25) से विकास गोयल (Vikas Goel) ऐसा ही एक नाम है. विकास गोयल टिकट न मिलने से नाराज़ होकर बागी हो गए. वह टीवी के चुनाव चिन्ह पर स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. दिलचस्प बात ये भी है कि ये स्वतंत्र उम्मीदवार जीत दर्ज करें या न करें. लेकिन, बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के वोटबैंक में सेंध जरूर लगा देते हैं. जिस स्वतंत्र उम्मीदवार का इलाके में अच्छा रसूख होता है तो वह चुनाव हराने में जरूरी कारगर भूमिका निभा लेता है.

खुद के बूते उतरे चुनावी मैदान में 
 

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स्वतंत्र उम्मीदवारों में एक नाम रवि शंकर शर्मा का भी है. रवि शंकर बड़ी पार्टियों की टिकट की फेर में नहीं पड़े और अपने बूते चुनावी मैदान में कूद गए. रवि वार्ड नंबर 47 निहाल विहार (Nihal Vihar Ward 47) से इंडिपेंडेंट कैंडिडेट है. इस बार एमसीडी चुनावो में 382 स्वतंत्र उम्मीदवारी चुनावी मैदान में हैं. इनमें ज्यादातर बड़ी पार्टियों के बागी उम्मीदवार शामिल हैं. ये वे नेता है जो टिकट न मिलने से बड़ी पार्टियों से नाराज़ हुए और बागी बन गए. 2017 में 16 वार्डस पर ऐसे ही बागी बड़ी पार्टियों को पछाड़कर चुनाव जीते थे.
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60 वार्ड्स में बिगाड़ सकते हैं चुनावी खेल
दिल्ली नगर निगम चुनाव में 60 वार्ड ऐसे हैं जहां बागी और वोट काटने वाले प्रत्याशी बड़े राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों की नाक में दम कर सकते हैं. इस बार सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने अपने बहुत सारे पुराने कार्यकर्ताओं के टिकट भी काटे हैं और टिकट कटने से कुछ कार्यकर्ता बगावत पर भी उतर आते हैं. कुछ कार्यकर्ताओं की बगावत सामने सीधे तौर पर दिखती है और कुछ कार्यकर्ता अंदर खाने वोट काट कर अपना गुस्सा दिखाते हैं.

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