Research : जिस तरह हम प्यार के लिए बने हैं, वैसे ही दिल टूटने के लिए भी बने हैं. भारतीय समाज में लिव इन रिलेशन को सही नहीं समझा जाता और न ही अभिभावक इसके लिए अनुमति देते हैं, लेकिन ये मान्यता आज के परिप्रेक्ष्य में कितना सही है, आइये ये भी जान लेते हैं. 


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भारतीयों के लिव इन रिलेशन, प्यार या बेवफाई से संबंधित रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इसके मुताबिक 37% भारतीय मानते हैं कि ब्रेकअप के बाद भी लिव-इन पार्टनर एक घर में रह सकते हैं. 34% भारतीयों का मानना है कि उनके माता-पिता को उनके लिव-इन में रहने से कोई परेशानी नहीं है.


महिलाएं बांटना चाहती हैं आधा खर्च


87% पुरुष और 92% महिलाएं मानती हैं कि प्यार में दोस्ती बेहद जरूरी है. रिसर्च में शामिल 50% महिलाओं का मानना है कि घर के खर्चों को महिला और पुरुष को आधा-आधा बांटना चाहिए, जबकि खर्चों के बंटवारे पर सिर्फ 37% पुरुष ही सहमत दिखे. 27 से 32 वर्ष उम्र के 67% का मानना है कि रिश्ते को ठीक करने के बजाय ब्रेकअप करना ज्यादा आसान है.


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रिसर्च के दौरान पाया गया कि 53% महिलाएं अपने पुराने साथी को भूलकर नई शुरुआत करती हैं, जबकि 66% पुरुष अपने पहले प्यार के पास वापस जाने के लिए तैयार रहते हैं. शोध के मुताबिक दो में से एक भारतीय को शादी से पहले लिव इन में रहना पसंद है. लोगों के मुताबिक इससे दोनों साथियों के बीच Compatibility का पता चलता है.


बेहतर तरीके से समझने के लिए लिव इन जरूरी 


यह रिसर्च ओटीटी प्लेटफॉर्म लायंसगेट प्ले ने ऑरमैक्स के साथ किया है. फरवरी 2023 में पूरे देश में कुल 1000 लोगों पर यह रिसर्च की गई थी. 2 में से 1 भारतीय इस बात से सहमत हैं कि अपने साथी को बेहतर ढंग से समझने के लिए शादी करने से पहले लिव-इन रिलेशनशिप में रहना महत्वपूर्ण है.


केवल 30% भारतीय अपने साथी के विपरीत लिंग के सबसे अच्छे दोस्त होने से असहज हैं. अध्ययन में कहा गया है कि 34% भारतीय पार्टनर के साथ केजुअल सेक्स के लिए सहमत दिखे. वहीं मेट्रो निवासियों की तुलना में मिनी मेट्रो के 38% लोग "लाभ वाले दोस्त" पसंद करते हैं.


अंधा नहीं है प्यार 
एक कहावत है कि प्यार अंधा होता है, लेकिन रिसर्च के आकंड़े कुछ और ही बताते हैं. इसके मुताबिक 72% भारतीय इस बात से सहमत हैं कि आर्थिक रूप से सुरक्षित होने पर ही किसी को रिलेशन बनाना चाहिए.