Kanwar Yatra 2023: गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस ने कांवड़ यात्रा को लेकर और उनकी सुविधा को लेकर रूट डायवर्जन की घोषणा किया है.  बता दें कि उत्तराखंड से आने वाला लोग अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए ज्यादातर नेशनल हाईवे 9 (NH 9) का इस्तेमाल करेंगे, जबकि दिल्ली-मेरठ रोड को विभिन्न श्रेणियों के लिए सीमा से बाहर कर दिया जाएगा. 4 जुलाई की आधी रात से 18 जुलाई की सुबह रूट डायवर्ट रहेगा.


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दिल्ली-मेरठ रोड का बदला रूट
दिल्ली-मेरठ रोड एक प्रमुख सड़क है, जो स्थानीय यात्रियों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से आने-जाने वाले लंबी दूरी के यात्रियों की सुविधा प्रदान करती है. ट्रैफिक अधिकारियों ने कहा कि डायवर्जन अवधि के दौरान दिल्ली-मेरठ रोड पर शहर की आंतरिक सड़कों पर भी यातायात की अनुमति नहीं दी जाएगी.


तीर्थयात्रियों और कांवडियों की सुरक्षा के लिए बदले रास्तें 
एसीपी ने कहा कि इस अवधि के दौरान दिल्ली-मेरठ रोड पर तीर्थयात्रियों और डाक कांवड़ों का भारी प्रवाह देखा जाएगा. तीर्थयात्री और कांवड़ियों की सुरझा के लिए रूट बदल दिए जाएंगे. गाजियाबाद जिले में रूट पर निगरानी की जाएगी, सिविल पुलिस और प्रशासन कांवड़ यात्रा के लिए सुचारू संचालन के लिए विस्तृत व्यवस्था की है. अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल की कांवड़ यात्रा के दौरान लगभग 30 लाख तीर्थयात्रियों की आमद हुई थी और उन्हें इस साल और अधिक तीर्थयात्रियों की उम्मीद है.


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इन वाहनों के नहीं दी जाएगी अनुमति 
बता दें कि ट्रकों, बसों, ट्रैक्टरों और मिनी ट्रकों जैसे भारी वाहनों को 18 जुलाई की सुबह तक दिल्ली-मेरठ रोड पर अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्हें NH-9 की ओर मोड़ दिया जाएगा और वे अपने गंतव्यों और राज्यों की ओर आगे जा सकेंगे. 8 जुलाई की आधी रात से 18 जुलाई की सुबह तक दिल्ली-मेरठ रोड पर कार और दोपहिया जैसे हल्के वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. 


सावन में कांवड़ियां गंगा से जल लाकर भगवान शिव को करते हैं अर्पित
दरअसल, आज से सावन के पावन महीने की शुरुआत हो गी है. आज से कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है. वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान कांवड़ियां, शिव भक्त, गंगा नदी से पवित्र जल लाने के लिए उत्तराखंड में हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री और बिहार में सुल्तानगंज जैसे स्थानों पर जाते हैं. फिर उसे अपने स्थानीय शिव मंदिरों या फिर वाराणसी में काशी विश्वनाथ और देवघर में बाबा बैद्यनाथ जैसे निर्दिष्ट मंदिरों में प्रसाद के रूप में भगवान शिव को अर्पित करते हैं.