Sexual Harassment Case: महिला पहलवानों ने आरोपी सांसद बृजभूषण के खिलाफ दाखिल किया written submission
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Sexual Harassment Case: महिला पहलवानों ने आरोपी सांसद बृजभूषण के खिलाफ दाखिल किया written submission

यह मामला छह महिला पहलवानों द्वारा दायर की गई शिकायतों से जुड़ा है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) हरजीत सिंह जसपाल ने अभियोजन पक्ष द्वारा लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी.

Sexual Harassment Case: महिला पहलवानों ने आरोपी सांसद बृजभूषण के खिलाफ दाखिल किया written submission

नई दिल्ली: महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर शिकायतकर्ता रेसलर्स ने एक लिखित आवेदन दायर किया है. राऊज एवेन्यू कोर्ट में पूर्व डब्ल्यूएफआई प्रमुख (WFI Chief) बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोपों पर बहस चल रही है.

यह मामला छह महिला पहलवानों द्वारा दायर की गई शिकायतों से जुड़ा है. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) हरजीत सिंह जसपाल ने अभियोजन पक्ष द्वारा लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई 6 दिसंबर को होगी.

पिछली तारीख पर आरोपी सांसद की और से लिखित दलील दाखिल की थी. 30 अक्टूबर को अदालत ने आरोपों पर दलीलें दोहराने के लिए उपस्थित वकील की खिंचाई की थी. एसीएमएम जसपाल ने सभी पक्षों के वकीलों से लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था. इस दौरान जज ने एक पुरानी अंग्रेजी कहावत का जिक्र करते हुए कहा था कि जब स्पष्ट करने में सक्षम न हो तो बस कन्फ्यूज कर दो. उन्होंने बचाव पक्ष के वकील की ओर इशारा करते हुए कहा, मिस्टर वकील आप मुझे भ्रमित कर रहे हैं. 

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अदालत ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील राजीव मोहन ने तर्क दिया था कि इस अदालत के पास भारत के बाहर कथित तौर पर किए गए किसी भी अपराध की सुनवाई करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि इसके लिए सीआरपीसी की धारा 188 के तहत मंजूरी प्राप्त नहीं की गई है. यह भी तर्क दिया गया है कि जब अपराध आंशिक रूप से भारत और आंशिक रूप से देश के बाहर किया जाता है तो किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं होती है.

अदालत ने बचाव पक्ष के वकील की दलीलों पर भी गौर किया कि अभियोजन पक्ष के अनुसार कथित अपराध टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में किया गया. ऐसे में इस अदालत द्वारा मुकदमा नहीं चलाया जा सकता. इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि क्या यौन उत्पीड़न को लगातार चलने वाला अपराध कहा जा सकता है. क्या दिनांक, समय और स्थान के अनुसार अलग-अलग कई अपराधों को कवर किया जा सकता है?

अदालत ने अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) द्वारा की गई दलीलों पर भी गौर किया कि यौन उत्पीड़न का कार्य एक सतत अपराध था क्योंकि यह किसी विशेष समय पर नहीं रुका. एपीपी के मुताबिक आरोपी को जब भी मौका मिला, उसने पीड़िता के साथ छेड़छाड़ की. इस पर कोर्ट ने कहा कि अवसर और इस तरह के उत्पीड़न को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ताओं में से एक ने आरोप लगाया कि आरोपी ने 2022 में यौन संबंध बनाए. 2022 की घटना बुल्गारिया और WFI कार्यालय की है. डब्ल्यूएफआई कार्यालय में हुई घटना का निरीक्षण समिति के समक्ष जिक्र नहीं किया गया.