विजय कुमार/सिरसा: हरियाणा सरकार द्वारा बिना चुनाव करवाए गठित की गई हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक (सरकारी) कमेटी के खिलाफ अब सिख समाज के लोगों ने मोर्चा खोल दिया है. कमेटी के नवनियुक्त प्रधान महंत कर्मजीत सिंह के किसान आंदोलन में गुरु धामों द्वारा लगाए गए लंगरों पर विवादित बयान के बाद हरियाणा की सिख संगत व किसानों का विरोध आज सड़कों पर उतर आया. सिरसा के गुरुद्वारा साहिब पातशाही दसवीं में बड़ी संख्या में सिख समर्थक और किसान इक्क्ठे हुए, जिन्होंने गुरुद्वारा साहिब से चलकर बाजारों से होते हुए लालबत्ती चौक पर जाकर हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सरकारी प्रधान महंत कर्मजीत का पुतला फूंका और राज्यपाल हरियाणा के नाम ज्ञापन सौंपा. इस मौके पर सिख समाज के लोगों और किसानों ने जमकर नारेबाजी भी की. 


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मीडिया से बातचीत करते हुए भारतीय किसान एकता बीकेई अध्यक्ष लखविंद्र सिंह औलख ने बताया कि SPGC से हरियाणा के गुरुधामों के अलग होने के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिबानों के प्रबंधन का जिम्मा हरियाणा की साध संगत को दिया था. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के जरिए कमेटी गठित करने का फैसला सुनाया था, लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार ने पुलिस फोर्स के दम पर बिना चुनाव करवाए. अपने समर्थकों के हाथों में गुरुधामों का प्रबंधन सौंप दिया. इसका प्रधान महंत कर्मजीत और सिख कौम के गद्दार बलजीत सिंह दादूवाल को बनाया गया.


उन्होंने आगे कहा कि इन दोनों को इसलिए बनाया गया है कि ये दोनों आरएसएस सरकार के कहने पर पहले भी बहुत दफा सिख कौम को धोखा दे चुके हैं. औलख ने कहा कि पहले एसजीपीसी हरियाणा के सिक्खों के साथ भेदभाव करती आई है. उनसे अपने हरियाणा के गुरुधामों के अलग होने बाद हरियाणा की सिख संगत को थोड़ी खुशी मिली थी, जिसे अब बीजेपी, आरएसएस की नजर लग गई. 


राज्यपाल के नाम दिए गए ज्ञापन में सिख समाज और किसान जत्थेबंदी द्वारा हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सिख विरोधी महंतों से आजाद करवाकर चुनाव करवाए जाने की मांग रखी है. इससे सिख संगत अपने मत के अनुसार अपने पदाधिकारी चुन सकें. मीडिया से बातचीत करते हुए लखविंद्र सिंह ने कहा कि आजादी से पहले सिक्ख गुरुधामों को जिन अंग्रेजों के एजेंट सिक्ख विरोधी महंतो से हमारे बुजुर्गों ने बड़े संघर्ष करने के बाद आजाद करवाया था. 


वहीं महंत अब बीजेपी सरकार के सहारे फिर से गुरुधामों पर कब्जा करने लगे हैं. औलख ने कहा कि आज तक देश भर में कहीं भी लंगर की जरूरत पड़ी है तो गुरुद्वारा साहिबानों से बिना किसी भेदभाव के वहीं लंगर पहुंचता रहा है. अब सरकारी कमेटी बनने के कुछ समय के अंदर ही इसके दुष्प्रभाव सामने आने लगे हैं. हाल ही में चंडीगढ़ में सरपंचों के लिए गुरुद्वारा साहिब से लंगर भेजने से इनकार करना इसका ताजा उदाहरण है. औलख ने बताया कि सिख समाज की सेवा और मर्यादा पूरी दुनिया में किसी से छुपी नहीं है. इसलिए हरियाणा की सिक्ख संगत और किसान गुरु धामों पर सरकार और सिख विरोधी महंतो का कब्जा कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.