जय कुमार/ सिरसा: सिरसा में महिला किसान वसुधा बंसल वैसे तो जाने माने खचांजी परिवार से संबंध रखती हैं मगर उनका जुनून खेती करना है. वसुधा बंसल ने पति के साथ मिलकर 50 एकड़ में फल व सब्जियां उगानी शुरू की. पहले वसुधा भी दूसरे किसानों की तरह परम्परागरत खेती करती थी लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदलता गया वैसे-वैसे वसुधा ने भी अपने आपको वक्त के साथ आगे बढ़ने की सोच रखी और परम्परागत खेती को कम कर उसकी जगह आधुनिक खेती को तवज्जो दी. वसुधा अब अपने बाग में 50 एकड़ में संतरे , मीठा निम्बू , आम , आलू और केले , पपीता , बेर , अमरुद , किन्नू , मौसमी सहित अनेक प्रकार की फसल की खेती करती हैं. वसुधा को इस खेती से काफी मुनाफा होता है इसलिए वो अपने आसपास के किसानों को भी परम्परागत खेती की बजाए आधुनिक खेती के प्रति प्रेरित करती रहती हैं.


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पिछले 30 वर्षों से कर रही हैं खेती
वसुधा पिछले 30 वर्षों से ज्यादा वक्त से खेती कर रही हैं. वसुधा बंसल के मन में था कि वह नागपुर के संतरे सिरसा में लगाए इसलिए वह खुद नागपुर जाकर वहां के संतरों की किस्म को लाकर लगाया है. यह पौधे तीन साल बाद फल देने लगेंगे. केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र शिमला (सीपीआइआर) द्वारा विकसित आलू की कुफरी नीलकंठी किस्म को वसुधा ने अपने खेतों में उगाया है. सिरसा की अंबेडकर चौक निवासी महिला किसान वसुधा बंसल ने गांव डिंगमंडी स्थित अपने फार्म पर खेती करती हैं. महिला किसान वसुधा बंसल का कहा कहना है कि शुरू से ही बागवानी के प्रति लगाव रहा है. इनकी डिंग मंडी गांव में 50 एकड़ जमीन है जहां से अपने पति के साथ मिलकर खेती करती हैं. इनके बाग में अमरूद, आम, किन्नू, मौसमी, बेर और पपीता भी है. 


परिवार के साथ-साथ खेत को भी संभालती हैं वसुधा
वसुधा बंसल जितनी कुशलता से खेत संभालती है उतनी कुशलता से घर भी संभालती हैं. वह रोजाना घर से सुबह साढ़े आठ बजे निकलती हैं. घर से निकलने से पूर्व वह परिवार का खाना बनाती हैं. इसके बाद वह पूरा समय खेत व बगीचों में काम करती हैं. वह शाम को छह बजे तक खेतों का काम करती हैं. उसके बाद घर आकर परिवार को संभालती हैं. वसुधा बंसल ने बताया कि उनके पति एजुकेशन संस्थाओं में महत्वूपर्ण पद पर हैं. इसके अलावा समाज सेवा करते हैं. वसुधा का एक बेटा है जो नीदरलैंड में नौकरी करता है. वसुधा अब यह जैविक खेती की ओर अग्रसर हैं. इन्होंने खुद के प्रयासों से खेत में केंचुए की खाद तैयार की है. इसके अलावा गोबर की खाद का प्रयोग भी यह खेतों व बाग में कर रही हैं. हाल ही में जैविक खेती के लिए इन्हें सरकार की तरफ से स्काप सर्टिफिकेट भी मिला है.