swati maliwal: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई मारपीट के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा एसआईटी (विशेष जांच दल) की टीम गठित की गई है. एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री के आवास पर उनके पीएस विभव द्वारा आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल से कथित तौर पर मारपीट की गई थी. जिसके बाद से ही सियासी तापमान अपने चरम पर है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वैभव का मोबाइल डाटा कराया जाएगा रिट्रीव
एसआईटी की टीम का नेतृत्व उत्तरी दिल्ली की अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अजिता चेप्याला करेगी, जो कि जांच की भी जिम्मेदारी संभाल रही है. एसआईटी की इस टीम में इंस्पेक्टर रैंक के तीन अधिकारी शामिल किए गए हैं. वहीं इनमें से एक सिविल लाइंस के पुलिस अधिकारी को शामिल किया गया.  पुलिस ने बताया कि  एसआईटी जांच के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.  वहीं एसआईटी इस मामले में हर लिंक को जोड़ने की कोशिश करेगी. उनकी पहली कोशिश विभव के मोबाइल डाटा को पूरी तरह से रिट्रीव करने की कोशिश में है. क्योंकि उनको उम्मीद है कि इससे उसे वहां पर लीड मिल सकती है. 


ये भी पढ़ें: Delhi News: बांसुरी स्वराज और प्रवीण खंडेलवाल पहुंचे CP हनुमान मंदिर, किया ये बड़ा दावा


सीन को कराया गया रीक्रिएट 
पुलिस ने रविवार को सीसीटीवी का DVR को जब्त किया था. जिसके जरिए पुलिस की कोशिश सीसीटीवी के ब्लैंक पार्ट को निकालने की रहेगी. पुलिस ने विभव को मालीवाल से मारपीट के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस विभव को सीएम के आवास पर लेकर गई थी, जहां पर सीन को रीक्रिएट कराया गया. इसके बाद पुलिस विभव को उस ड्राइंग रूम में भी लेकर गई थी, जहां पर राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट की गई थी. दरअसल दिल्ली पुलिस विभव से कुछ सवालों के जवाब जानना चाहता है कि आखिरकार 13 तारीख को क्या हुआ था? पुलिस में सवालों के जवाबों को सीक्वेंस में नोट किया, उसकी मैंपिग और फोटोग्राफी भी की है. 


हिरासत में हैं विभव 
आरोपी विभाव अभी स्वाति मालीवाल से मारपीट करने के आरोप में पुलिस की हिरासत में हैं.  बीती 18 मई को तीस हजारी कोर्ट ने विभव को पांच दिन की हिरासत में भेज दिया था. वहीं विभव को पुलिस ने शनिवार की दोपहर को हिरासत में ले लिया था और इसके बाद वह सिविल लाइन में पुलिस स्टेशन में पूछताछ के बाद शाम को अरेस्ट कर लिया था. तीस हजारी कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका कोर्ट में दायर की गई थी, जिसे कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया था.