Soumya Viswanathan Murder Case: टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथ हत्या मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने चारों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. दोषियों में रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार का नाम शामिल है. कोर्ट ने मकोका के तहत दोषियों को सजा सुनाई है साथ ही इन पर जुर्माना भी लगाया गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

2008 में हुई हत्या
30 सितंबर, 2008 को पत्रकार सौम्या विश्वनाथ रात के लगभग 3 बजे अपने घर लौट रहीं थीं, तभी रास्ते में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस पूरे मामले में पुलिस ने 5 लोगों को दोषी बनाया थ, जो साल 2009 से पुलिस गिरफ्त में थे.


ये भी पढ़ें- Uttarkashi Rescue: सिल्क्यारा टनल में अब मैनुअल और वर्टिकल ड्रिलिंग से होगा रेस्क्यू, लेकिन अब भी इस बात का खतरा


उम्रकैद के साथ जुर्माना
सौम्या विश्वनाथ हत्या मामले में पुलिस ने 4 दोषियों को उम्रकैद और पांचवें दोषी को 3 साल की सजा सुनाई है.अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडेय की अदालत ने सजा सुनाते हुए दोषी रवि कपूर को उम्रकैद की सजा के साथ आईपीसी 302 के तहत 25 हजार और मकोका के तहत एक लाख रुपये का जुर्माना, अमित शुक्ला को उम्रकैद के साथ आईपीसी की धारा 302 के तहत 25 हजार का जुर्माना और मकोका के तहत एक लाख का जुर्माना, अजय कुमार को आईपीसी 302 के तहत 25 हजार का जुर्माना और मकोका के तहत एक लाख तक का जुर्माना, बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा के साथ आईपीसी की धारा 302 के तहत 25 हजार का जुर्माना और मकोका के तहत एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. पांचवें दोषी अजय सेठी को कोर्ट ने 3 साल की सजा और आईपीसी की धारा 411 और मकोका के तहत 7.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.


क्या होता है मकोका?
साल 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) बनाया था, जिसका उद्देश्य राज्य से संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध को खत्म करना है. यह एक्ट दिल्ली और महाराष्ट्र में लागू है, दिल्ली में इसे साल 2002 लागू किया गया. मकोका एक्ट लगने के बाद जमानत नहीं मिलती. अगर पुलिस या जांच एजेंसी ने जांच के 180 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं की तो इसमें आरोपी को जमानत दी जा सकती है. इस कानून के तहत अधिकतम सजा फांसी और न्यूनतम पांच साल जेल का प्रावधान है.