नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें बीसीसीआई ने अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह सहित अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल के संबंध में संविधान में संशोधन का आग्रह किया था. चीफ जस्टिस एनवी रमण और जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मामले को गुरुवार के लिए स्थगित कर दिया, क्योंकि बीसीसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिकवक्ता हरीश साल्वे ने सुनवाई स्थगित करने की मांग की थी. बिहार क्रिकेट संघ की ओर से पेश वकील ने कहा कि पदाधिकारी अपने कार्यकाल को जारी रखे हुए हैं, जबकि तकनीकी रूप से उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है. इस पर पीठ ने कहा कि एक दिन में कुछ नहीं होगा. जल्दी क्या है? 


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कोविड की वजह से मामला नहीं हुआ सूचीबद्ध
वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी इस मामले में खुद को पक्ष बनाने की स्वीकृति लेने के लिए पेश हुए. इससे पहले पीठ बीसीसीआई की याचिका पर आपात सुनवाई के लिए राजी हो गई. बीसीसीआई अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल के संबंध में अपने संविधान को संशोधित करने की स्वीकृति मांग रहा है. बीसीसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने कहा कि उनका आवेदन दो साल पहले दायर किया गया था और दो हफ्ते बाद अदालत ने इस मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसके बाद कोविड आ गया और मामले को सूचीबद्ध नहीं किया जा सका. पटवालिया ने आगे कहा कि कृप्या इस मामले को आपात सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कीजिए, क्योंकि दो साल से संविधान में संशोधन का इंतजार किया जा रहा है.


वहीं पटवालिया ने कहा कि न्यायालय ने पहले अपने आदेश में कहा था कि संविधान में संशोधन न्यायालय की स्वीकृति के बाद ही किया जा सकता है. इससे पहले न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अगुआई वाली समिति ने बीसीसीआई में सुधारवादी कदम उठाने की सिफारिश की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने स्वीकार किया था. सिफारिशों के अनुसार राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई के स्तर पर छह साल के कार्यकाल के बाद पदाधिकारियों को तीन साल के ब्रेक से गुजरना होगा. 


तीन साल का ब्रेक लेना अनिवार्य
बीसीसीआई ने अपने प्रस्तावित संशोधन में अपने पदाधिकारियों के लिए ब्रेक के समय को खत्म करने की स्वीकृति देने की मांग की है, जिससे कि बीसीसीआई अध्यक्ष गांगुली और सचिव शाह संबंधित राज्य क्रिकेट संघों में छह साल पूरे करने के बावजूद अपने पदों पर बने रह पाएंगे. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत बीसीसीआई के संविधान के अनुसार अगर कोई पदाधिकारी राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई में तीन साल के लगातार दो कार्यकाल पूरे करता है तो उसे तीन साल का अनिवार्य ब्रेक लेना होगा. गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ जबकि शाह गुजरात क्रिकेट संघ में पदाधिकारी थे.


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